किसानों के सुर में मिला पंजाबी गायकों का राग, कृषि विधेयकों पर जुटे सियासी जमीन तैयार करने में

पंजाब की सियासत में जट्ट किसान व जमीन हमेशा से बड़े मुद्दे रहे हैं। पंजाबी कलाकार भी इन्हें खूब भुनाते हैं। अब कृषि विधेयकोंं को लेकर वह अपनी जमीन तैयार करने में जुटे हैं। गीतों व सोशल मीडिया के जरिए वह किसानों के समर्थन में उतर आए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 01:11 PM (IST) Updated:Tue, 22 Sep 2020 01:11 PM (IST)
किसानों के सुर में मिला पंजाबी गायकों का राग, कृषि विधेयकों पर जुटे सियासी जमीन तैयार करने में
पंजाबी कलाकार मनमोहन वारिस, दलजीत दोसांझ, गिप्पी ग्रेवाल, एमी विर्क, गुरप्रीत घुग्गी व हरभजन मान।

जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। 'पक्के मुल्ल वाली साड्डी, जमा टुट गई उम्मीद, झोना कणक नई लैणे कैहंदे तोड़ती खरीद व हो गया विरोधी बिल पेश किसान दे, माड़े दिन शुरू हो गए समझो जहान दे... जैसे गीत कृषि विधेयक के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे किसानों के जख्मों पर मरहम लगा रहे हैं। पंजाब के गायकों ने मौके की नजाकत को समझते हुए किसानों के आंदोलन में गीतों के जरिए उनके सुर में अपना राग मिलाकर सियासी जमीन तलाशनी शुरू कर दी है। इस लिस्ट में मनमोहन वारिस, कमल हीर, दलजीत दोसांझ, गिप्पी ग्रेवाल, एमी विर्क, हरभजन मान, बब्बू मान, गुरप्रीत घुग्गी, पम्मी बाई व गुरनाम भुल्लर सहित दर्जनों नाम लगातार जुड़ रहे हैं।

पंजाब की सियासत में जट्ट, किसान व जमीन हमेशा से बड़े मुद्दे रहे हैं। 1920 में लाहौर में स्थापित पंजाबी फिल्म उद्योग भले ही समय के साथ कोलकाता व मुंबई का रास्ता तय करता हुआ पंजाब में स्थापित हो गया, लेकिन ज्यादातर हिट फिल्में व गाने जट्ट, किसानी व जमीन से जुड़े रहे। कणक दे ओहले, यमला जट्ट, जट्ट पंजाबी, पुत जट्टां दे, यारी जट्टां दी, जट्ट ते जमीन, जट्ट इन गोलमाल, जोरा जट्ट, बंदूक जट्ट दी व जट्ट एंड जूलियट जैसी हिट फिल्में इस बात की गवाह हैं कि किस प्रकार कलाकारों ने किसानों के मुद्दों को अपना मुद्दा बनाकर आगे का सफर तय किया है।

मोहम्मद सदीक, भगवंत मान, गुरप्रीत घुग्गी, जस्सी जसराज, हंसराज हंस जैसे कई नाम हैं, जिम्होंने पंजाबी फिल्म उद्योग के सहारे अपनी सियासी जमीन तैयार की। धर्मेंद्र, हेमा मालिनी व उनके बाद सनी दियोल ने भी यह राह तय की है। मनमोहन वारिस व कमल हीर ने बीते दिनों अपने गीत.. पक्के मुल्ल वाली साड्डी... गीत से पेश करके किसानों के जख्मों को बहुत पहले ही टटोलना शुरू कर दिया था।

इसके बाद सुखचैन बराड़ ने.. हो गया विरोधी बिल पेश... गीत के सहारे किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की है। बी. सिंह ने अपने गीत.. चल उठ किसाना, हो कायम जमाना। हरदीप विर्क ने ..असी मंगदे आ हक, तुसी मारदे ओ डंग... गीत के सहारे धरने पर बैठे किसानों का समर्थन किया है। सिम्मू ढिल्लों ने ..ओह मां हुंदी जट्ट दी..., गीत के सहारे किसानों को उग्र समर्थन की तरफ धकेला है।

पटियाला में धरने पर बैठे किसानों के समर्थन में हरजीत हरमन ने शिरकत करके किसानों का समर्थन किया तो गुरनाम भुल्लर ने इंस्टाग्राम के जरिए किसानों का समर्थन किया। दलजीत दोसांझ व एमी विर्क ने सोशल मीडिया पर किसानों के साथ खड़े होने का एलान किया है।

गुरदास मान ने लिखा- किसान है, तो हिंदुस्तान है

सियासत में फेल हो चुके गुरप्रीत घुग्गी ने भी सोशल मीडिया के जरिए किसानों का समर्थन किया है। गायक पम्मी बाई इस मुद्दे पर कहते हैं कि कुर्सियों पर बैठने वाले इंसाफ नहीं लाते। अभी तक पंजाब में हर राजनीतिक दल ने किसानों को लूटा है। गुरदास मान ने सीधे तौर पर तो विधेयक पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन फेसबुक पर अपनी तस्वीर शेयर की है, जिसमें वे केही (फावड़ा) लेकर खेत में खड़े हैं। उन्होंने लिखा है- 'किसान है, तो हिंदुस्तान है। जय जवान, जय किसान, सरबत दा भला होवे।' गुरप्रीत व सुरिंदर खोखर के पोस्टर काफी वायरल हो रहे हैं।

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