पंजाब के स्कूलों में कोरोना का निवाला बना मिड-डे मील, अप्रैल से हुआ बंद; आदेशों के इंतजार में शिक्षा विभाग

पंजाब में पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को मुफ्त भोजन दिया जाता है। अप्रैल से इसे बंद कर दिया गया है। इसके पीछे का तर्क यह दिया जा रहा है कि दूसरे चरण में वायरस जानलेवा है।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Mon, 10 May 2021 03:11 PM (IST) Updated:Mon, 10 May 2021 03:11 PM (IST)
पंजाब के स्कूलों में कोरोना का निवाला बना मिड-डे मील, अप्रैल से हुआ बंद; आदेशों के इंतजार में शिक्षा विभाग
कोरोना महामारी के बीच शिक्षा विभाग ने मिड डे मील बंद कर दिया है।

पठानकोट, जेएनएन। कोरोना की रफ्तार ने महत्वांकाक्षी योजनाओं को भी हालात खराब कर दी है। इसमें से एक मिड-डे मील है। इसके तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को मुफ्त भोजन दिया जाता है। अप्रैल से इसे बंद कर दिया गया है। इसके पीछे का तर्क यह दिया जा रहा है कि दूसरे चरण में वायरस जानलेवा है। इसलिए शिक्षा विभाग ने बच्चों के हितों को ध्यान में रखते हुए स्कूल को बंद कर दिया है, जिस कारण मिड-डे मील भी बंद है। हालांकि इस बार न तो घर-घर मील पहुंचाया जा रहा है और न ही अभिभावकों के खातों में पैसे भेजे जा रहे हैं। इस संबंध में विभागीय अधिकारियों का कहना है कि निदेशालय से आदेशों के आने पर व्यवस्था की जाएगी।

पहले घर-घर मील पहुंच रहा था, अब पूरी तरह से बंद

अभी भी जिले में 72 फीसद से ज्यादा बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। इसमें से अधिकतर बच्चे मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं या आर्थिक रूप से कमजोर हैं। हालांकि कोरोना काल के दौरान सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसमें कुछ सबल परिवार के बच्चे भी शामिल हैं। गौरतलब है कि  जिले के सरकारी स्कूलों में इस समय कुल 56574 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। पहली से पांचवीं कक्षा तक 16794 विद्यार्थी और प्राइमरी ¨वग 5658 विद्यार्थी हैं।

पहले घर-घर मील पहुंच रहा था, अब पूरी तरह से बंद

कोरोना के प्रथम चरण में शिक्षा विभाग ने घर-घर जाकर बच्चों को मिड डे मील खुराक पहुंचाने के लिए शिक्षकों की ड्यूटी लगाई थी। अक्टूबर तक यह सिलसिला चलता रहा। स्कूल खुलने के बाद दोबारा से मिड-डे मील परोसा जाने लगा, जो मार्च तक जारी रहा। अप्रैल में कोरोना का प्रकोप बढ़ते ही स्कूलों को बंद कर दिया गया, लेकिन, मिड-डे मील पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई।  

नियमानुसार बंद नहीं कर सकते मिड-डे मील

नियमों के अनुसार मिड-डे मील को किसी भी हालत में बंद नहीं किया जा सकता है। इसके बदले विभाग बच्चों को सूखा राशन दे सकता है। उनका कहना है कि इस समय लगभग सभी सरकारी स्कूल के बच्चों का बैंक में खाता है। उनके खाते में सीधे पैसे भी डाले जा सकते हैं। इससे किसी भी बच्चे को परेशानी नहीं होगी। जिन बच्चे के खाते नहीं है उनके अभिभावकों के खाते में डाले जा सकते हैं।

डीईओ बोले- निदेशालय से नहीं आया कोई आदेश

मिड-डे मील के तहत सरकारी प्राइमरी स्कूलों में प्रत्येक बच्चे को 100 ग्राम और अपर प्राइमरी में 150 ग्राम खाद्यान्न मुहैया कराने का प्रावधान  है। यह योजना 15 अगस्त 1995 को शुरू हुई थी। इस संबंध में डीईओ सेकेंडरी बलदेव राज का कहना है निदेशालय के फैसले के अनुसार ही मिड-डे मील को रोका गया है। जैसे ही आदेश आते हैं मिड-डे मील की व्यवस्था की जाएगी या खाते में पैसे डाले जाएंगे।

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