Punjab Bus Travel Alert: 6 अक्टूबर को पंजाब के बस स्टैंड 4 घंटे के लिए बंद, कांट्रेक्ट वर्कर्स ने दी चेतावनी

पंजाब रोडवेज कांट्रेक्ट वर्कर्स ने कहा कि अगर मानी जा चुकी मांगों को लागू न किया गया तो फिर 6 अक्टूबर को गेट रैलियों के कार्यक्रम को 4 घंटे का किया जाएगा। इस दौरान बस स्टैंड को बंद रखा जाएगा।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Thu, 30 Sep 2021 05:19 PM (IST) Updated:Thu, 30 Sep 2021 05:19 PM (IST)
Punjab Bus Travel Alert: 6 अक्टूबर को पंजाब के बस स्टैंड 4 घंटे के लिए बंद, कांट्रेक्ट वर्कर्स ने दी चेतावनी
रोडवेज कांट्रेक्ट वर्कर्स ने पक्का न किए जाने पर 6 अक्टूबर से फिर विरोध का एलान किया है। सांकेतिक चित्र।

जासं, जालंधर। पंजाब रोडवेज, पनबस और पीआरटीसी कांट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर 14 सितंबर को हुए फैसले लागू नहीं किए जाते हैं तो फिर 6 अक्टूबर को राज्य भर के बस स्टैंड 4 घंटे के लिए बंद कर दिए जाएंगे। यूनियन के संरक्षक कमल कुमार, चेयरमैन बलविंदर सिंह, राज्य अध्यक्ष रेशम सिंह गिल, सचिव बलजीत सिंह गिल ने कहा कि 14 सितंबर को कांट्रेक्ट मुलाजिम पक्के करने के लिए 8 दिन का समय मांगा गया था। वेतन में 30 फीसद बढ़ोतरी का वादा 15 सितंबर से पूरा करने का फैसला लिया गया था। इसके अलावा हड़ताल के दिनों के लिए भी बिना कटौती वेतन देने की घोषणा की गई थी।

यूनियन की तरफ से 23 सितंबर तक का समय दिया गया था, जो बीत चुका है। सितंबर का वेतन आने वाला है, लेकिन वृद्धि को लेकर कोई भी कोई भी पत्र जारी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर मानी जा चुकी मांगों को लागू न किया गया तो फिर 6 अक्टूबर को गेट रैलियों के कार्यक्रम को 4 घंटे का किया जाएगा। इस दौरान बस स्टैंड को बंद रखा जाएगा। इसकी सारी जिम्मेदारी सचिव राज्य परिवहन एवं निदेशक राज्य परिवहन की होगी।

बता दें कि कांट्रेक्ट वर्कर्स ने इससे पहले छह सितंबर को अनिश्चितकाली हड़ताल की थी। करीब 9 दिनों तक उन्होंने बसों का चक्का जाम रखा था। इस दौरान पंजाब सरकारी की करीब 9000 बसों का संचालन प्रभावित हुआ था। बाद में कांट्रेक्ट वर्कर्स यूनियन सदस्यों और सरकार के बीच बातचीत में उन्हें नौकरी स्थायी करने और वेतन बढ़ोतरी का आश्वासन मिला था। इसके बाद वर्कर्स ने 29 सितंबर तक हड़ताल स्थगित कर दी थी। इससे पहले कि उनकी मांगों को सरकार पूरा कर पाती, कांग्रेस की राजनीति में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा। इसी के साथ वर्कर्स मांगों को लेकर सरकारी स्थिति अस्पष्ट हो गई है।

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