पंजाब के प्रोफेसर ने ढूंढ निकाला हड्डी का विकल्प, माइक्रोवेव ओवन में तैयार किया बायो सेरेमिक
केमिस्ट्री के प्रोफेसर रविंदर चड्ढा ने एक ऐसा मैटीरियल तैयार किया है जो मेडिकल साइंस में बड़ा बदलाव ला सकता है। उन्होंने हड्डी का विकल्प खोज निकाला है। इसे एक विशेष प्रकार के बायो सेरेमिक से तैयार किया गया है।
जालंधर [जगजीत सिंह सुशांत]। पंजाब के जाने-माने केमिस्ट्री के प्रोफेसर रविंदर चड्ढा ने एक ऐसा मैटीरियल तैयार किया है जो मेडिकल साइंस में बड़ा बदलाव ला सकता है। उन्होंने एक विशेष तरह का बायो सेरेमिक ‘हाइड्रॉक्सिऐपेटाइट’ तैयार किया जो हड्डी के विकल्प के रूप में इस्तेमाल हो सकेगा।
ऐसे कई विकल्प पहले भी मेडिकल साइंस के पास हैं, लेकिन इस नए मैटीरियल से शरीर पर कोई बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना बेहद कम है। डा. रविंदर चड्ढा ने कहा कि यह मैटीरियल उन मरीजों के लिए बेहद कारगर साबित हो सकता है जिनकी हड्डियों में कोई गैप आ गया हो या हड्डी बदलने की जरूरत आ पड़ी हो।
यह मैटीरियल टिशू के साथ मिलकर हड्डी को भी विकसित होने में मदद करता है, जिससे एलर्जी नहीं होती और ज्यादा मजबूती आती है। ‘हाइड्रॉक्सिऐपेटाइट’ नामक इस मैटीरियल में कुछ ऐसे तत्व डाले गए हैं जो हमारी हड्डियों व दांतों में पहले से होते हैं। इसमें उन्होंने कैल्शियम की जगह ‘संट्रोसियम’ का इस्तेमाल किया जो हड्डी को और मजबूती प्रदान करेगा। उन्होंने दावा किया कि इससे हड्डी दोबारा क्रेक नहीं होगी और गैप भी नहीं आएगा।
डा. रविंदर चड्ढा की इस रिसर्च को इंस्टीट्यूट आफ स्कालर्स ने रिसर्च एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया है। डा. चड्ढा ने कहा कि उम्मीद जताई कि उनकी यह शोध मेडिकल क्षेत्र में लोगों के इलाज के दौरान कारगर साबित होगी और मेडिकल फैक्लटी को भी रिसर्च से मदद मिलेगी।
शोध के साथ डाक्टरेट की उपाधि हासिल की प्रो. रविंदर ने
इस शोध के साथ प्रोफेसर रविंदर चड्डा ने डाक्टरेट की उपाधि भी हासिल कर ली। पीएचडी के रिसर्च वर्क में उनके गाइड पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी के तत्कालीन डीन एपी सिंह, डेवियट की हेड आफ डिपार्टमेंट कंचन एल सिंह बने। डा. चड्ढा ने कहा कि यह सब उनके गाइड्स की बदौलत ही संभव हो पाया है जिन्होंने इस शोध में अपना कीमती समय और अनुभव दिया।
50 मिनट में तैयार हुआ मैटीरियल
डा. चड्ढा ने बताया कि रिसर्च वर्क के दौरान इस मैटीरियल को तैयार करने के लिए इलेक्टिक फर्नेस के बजाय माइक्रोवेव ओवन का इस्तेमाल किया। इस तकनीक को ‘माइक्रोवेव सिनटिंग’ कहा जाता है। 1200 डिग्री सेल्सियस के टेंपरेचर पर मैटीरियल को गर्म करने के लिए घर में रखे ओवन को पहले माडिफाई किया गया था। ज्यादा टेंपरेचर पर गर्म करने से मैटीरियल और बेहतर हुआ है। इलेक्टिक फर्नेस में मैटीरियल को तैयार करने में करीब 14 घंटे लग जाते हैं, लेकिन माइक्रोवेव सिनटिंग में यह सिर्फ 50 मिनट में तैयार हो गया।