Punjab Politics : बसपा छोड़ चुके पुराने दिग्गज पार्टी में वापसी को लेकर काफी उत्सुक, विधानसभा चुनाव में बन सकते हैं उम्मीदवार

Punjab Politics पंजाब में शिअद के साथ समझौते में चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी बहुजन समाज पार्टी में भी अंदर खाते कई कुछ चल रहा है जो आगामी विधानसभा चुनाव के लिए खासा महत्वपूर्ण भी हो सकता है। बसपा छोड़ चुके पुराने दिग्गज पार्टी में वापसी कर रहे हैं।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 10:08 AM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 10:08 AM (IST)
Punjab Politics : बसपा छोड़ चुके पुराने दिग्गज पार्टी में वापसी को लेकर काफी उत्सुक, विधानसभा चुनाव में बन सकते हैं उम्मीदवार
Punjab Politics शिअद से हुए समझौते के बाद बसपा छोड़ चुके कई पुराने दिग्गज पार्टी में वापसी कर रहे हैं।

जालंधर [मनुपाल शर्मा]। Punjab Politics बीते कुछ महीनों से उबाल पर चल रही पंजाब की राजनीति में जोड़-तोड़ चरम पर चल रहे हैं, जिससे कोई भी राजनीतिक पार्टी अछूती नहीं बची है। शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के साथ समझौते में चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में भी अंदर खाते कई कुछ चल रहा है, जो आगामी विधानसभा चुनाव के लिए खासा महत्वपूर्ण भी हो सकता है।

खास यह है कि अकाली दल से हुए समझौते के बाद अब बसपा छोड़ कर जा चुके कई पुराने दिग्गज पार्टी में वापसी करने के लिए खासे उत्सुक नजर आ रहे हैं। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी में वापसी करने के लिए बेहद गोपनीय तरीके से रणनीति तैयार हो रही है और संभव यह भी है कि पार्टी में वापसी करने वाले कुछ पुराने दिग्गज विधानसभा चुनाव में शिअद-बसपा गठबंधन के संयुक्त उम्मीदवार भी हो सकते हैं। अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की तरफ से सरकार बनने पर दलित उपमुख्यमंत्री बनाने की घोषणा के बाद बसपा में वापसी करने की पुराने दिग्गजों की कवायद में तेजी आई हुई है। इनमें से कुछ ऐसे महानुभाव भी हैं। जो किसी समय में बसपा में रह चुके है। फिर बसपा को अलविदा बोल अकाली दल में शामिल हो गए थे और बाद में कांग्रेस का दामन थाम लिया था।

बसपा में वापसी करने के इच्छुक पुराने दिग्गज उन सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर सकते हैं, जिन पर बसपा की स्थिति पहले से ही मजबूत है और जोर लगाने पर सीट पर जीत का परचम भी लहराया जा सकता है। हालांकि अगर गठबंधन सीटों में बदलाव करता है। फिर तो ठीक है। लेकिन अगर बसपा को घोषित किए जा चुके उम्मीदवार को ही बदल कर पैराशूट से उतरने वाले पुराने दिग्गजों को एडजस्ट करना पड़ता है तो फिर पार्टी के भीतर असंतोष की लहर को भी शांत करना एक बड़ी चुनौती होगा।

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