Punjab New Cabinet: राणा गुरजीत को मंत्री बनाए जाने का विरोध, खैहरा की अगुआई में छह विधायक सिद्धू से मिलेंगे
विधायक राणा गुरजीत सिंह को मंत्री बनाए जाने का विरोध शुरू हो गया है। इसकी अगुआई हाल में कांग्रेस में शामिल सुखपाल खैहरा कर रहे हैं। वह नवतेज सिंह चीमा व कुछ अन्य विधायक साढ़े 12 बजे कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू को मिलने के लिए पहुंच रहे हैं।
जासं, कपूरथला। कपूरथला से विधायक राणा गुरजीत सिंह को मंत्री बनाए जाने का विरोध शुरू हो गया है। हाल ही में आम आदमी पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए सुखपाल सिंह खैहरा व कुछ अन्य विधायकों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राणा को मंत्रिमंडल में शामिल करने का विरोध जताया जा रहा है। खैहरा की अगुआई में नवतेज सिंह चीमा व कुछ अन्य विधायक साढ़े 12 बजे कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू को मिलने के लिए पहुंच रहे हैं। इस दौरान यह विधायक सिद्धू को एक चिट्ठी भी सौंपेगे।
भुलत्थ से आप की टिकट पर चुनाव जीतने वाले सुखपाल सिंह खैरा वही है, जिन्होंने विधानसक्षा में नेता विपक्ष बनाए जाने के कुछ समय बाद ही केजरीवाल खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। फिर वह आप से अलग हो गए और उन्होंने पंजाब एकता पार्टी का गठन किया। बठिंडा से लोकसभा चुनावों में करारी हार के हाद पंजाब की सियासत से हाशिए पर चले गए थे। खैहरा की विधायकी खत्म करने के लिए आप ने काफी जदोजहद की थी लेकिन कैप्टन सरकार ने उनकी विधायकी बरकरार रखी। इसके चलते कुछ माह पूर्व खैहरा ने तीन अन्य विधायकों के साथ कैप्टन की अगुआई में कांग्रेस का हाथ थाम लिया था।
आप में रहते खैहरा ने राणा गुरजीत सिंह पर पहले भी कई हमले किए हैं। बता दें कि रेत खनन में राणा का नाम आने पर उन्हें कैप्टन सरकार से मंत्री पद छोड़ने को मजबूर होना पड़ा था। अब खैहरा ने फिर से राणा गुरजीत सिंह व कांग्रेस हाईकमान के सामने राणा को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का विरोध शुरू कर दिया है। खैहरा व उनके समर्थकों में एक बार फिर से दोआबा की कांग्रेस में खेमेबाजी शुरू हो गई है।
सुखपाल खैहरा व उनके समर्थकों की तरफ से राणा का विरोध शुरू किए जाने की वजह से दोआबा में कांग्रेस दो गुटों में बंटती दिखाई देने लगी है। राणा को कलीनचिट मिलने के बावजूद भी अगर कांग्रेसी विधायक इसे मुद्दा बनाते है तो उससे कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंचना निश्चित है। इस कारवाई को कांग्रेस आलाकमान को भी चनौती के रूप में देखा जा सकता है। अगर राणा को लेकर कांग्रेस अपने फैसले को पलटती है तो उससे एक तो उसकी किरकरी होगी और दूसरा कांग्रेस हाईकमान के फैसले लेने की क्षमता पर भी सवाल उठने लगेगे। इससे कांग्रेस विरोधियों के हाथ एक बड़ा सियासी मुद्दा लग जाएगा।
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