108 बरस की हुई पंजाब मेलः शुरू में अंग्रेज साहब ही करते थे सफर, 18 साल बाद आम जनता के लिए लगी अलग बोगियां
इस ट्रेन के द्वारा उनको मनमाड भोपाल झांसी ग्वालियर मथुरा दिल्ली फिरोजपुर लाहौर के रास्ते पेशावर रेलवे स्टेशन तक लाया जाता था।
जालंधर, जेएनएन। भारतीय रेलवे की सबसे पुरानी लंबी दूरी की ट्रेनों में से एक पंजाब मेल एक जून को 108 बरस की आयू पूरी कर चुकी है। हालांकि यह ट्रेन कोविड-19 की वजह से अपनी 108वीं वर्षगांठ पर नहीं चल पाई। पंजाब मेल का उद्घाटन 1 जून 1912 को हुआ था, तब इसे पंजाब लिमिटेड के नाम से जाना जाता था।
ब्रिटिश अधिकारियों, सिविल सेवकों और उनके परिवारों को इंग्लैंड के साउथ हैम्पटेन बंदरगाह से बल्लार्ड पियर मोल स्टेशन मुंबई तक उनको जहाजों से लाया जाता था। फिर इस ट्रेन के द्वारा उनको मनमाड, भोपाल, झांसी, ग्वालियर, मथुरा, दिल्ली, फिरोजपुर, लाहौर के रास्ते पेशावर रेलवे स्टेशन तक लाया जाता था। 1914 में यह ट्रेन विक्टोरिया टर्मिनस (वर्तमान नाम-छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस) से प्रस्थान करने लगी। भारत-विभाजन के बाद इस ट्रेन का टर्मिनल स्टेशन फिरोजपुर केंट बनाया गया।
आजादी से पहले अंग्रेजों के जमाने में यह इटारसी, आगरा, दिल्ली, अमृतसर, लाहौर और पेशावर के बीच 2496 किलोमीटर का सफर तय करती थी। शुरू में इसे केवल गोरे अंग्रेज साहबों के लिए चलाया गया था। लेकिन, 1930 से इसमें आम जनता की खातिर थर्ड क्लास के डिब्बे भी लगाए जाने लगे।
आजादी से पहले अमृतसर तक दौड़ती थी
आजादी से दो साल पहले 1945 में पहली बार पंजाब मेल में वातानुकूलित बोगियों को जोड़ा गया। 1947 में स्वतंत्रता के बाद से यह ट्रेन मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (पूर्व नाम विक्टोरिया टर्मिनस) से पंजाब के फिरोजपुर के बीच चल रही है। 24 बोगियों वाली इस ट्रेन में एसी के साथ सामान्य और स्लीपर क्लास की बोगियां भी लगती हैं। अब इसका एक तरफ का सफर 1,930 किलोमीटर का है। अंग्रेजों के जमाने में यह इटारसी, आगरा, दिल्ली, अमृतसर, लाहौर और पेशावर के बीच 2496 किलोमीटर का सफर तय करती थी। शुरू में इसे केवल गोरे अंग्रेज साहबों के लिए चलाया गया था। लेकिन 1930 से इसमें आम जनता की खातिर थर्ड क्लास के डिब्बे भी लगाए जाने लगे।