Punjab: बिजली किल्लत पर विधानसभा चुनाव में सरकार को आईना दिखाएगी इंडस्ट्री, राजनीतिक विकल्प पर हो रही चर्चा

जालंधर में उद्योगपतियों को सरकार से गिला इस बात का है कि डिमांड बढ़ने के चलते बिजली की किल्लत पैदा हो गई लेकिन सरकार ने इंडस्ट्री के लिए बिजली उपलब्ध कराने को प्रयत्न नहीं किया। 9 दिन इंडस्ट्री बद रहने से उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 12:46 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 12:46 PM (IST)
Punjab: बिजली किल्लत पर विधानसभा चुनाव में सरकार को आईना दिखाएगी इंडस्ट्री, राजनीतिक विकल्प पर हो रही चर्चा
जुलाई में बिजली की किल्लत से पंजाब की इंडस्ट्री करीब 9 दिन बंद रही। सांकेतिक चित्र।

मनुपाल शर्मा, जालंधर। जुलाई में 9 दिन तक इंडस्ट्री को बिना बिजली के रखने का खामियाजा पंजाब की कांग्रेस सरकार को आगामी विधानसभा चुनाव में बुरे तरीके से भुगतना पड़ सकता है। लगातार नजरअंदाज किए जाने के चलते जालंधर के उद्योगपतियों में सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा है। मुख्य औद्योगिक संगठनों के प्रमुख अब खुलकर सरकार के खिलाफ बोलने भी लगे हैं। हालात यह हो गए हैं कि एक तरफ इंडस्ट्री अन्य राज्यों में अपना विकल्प तलाश रही है तो दूसरी तरफ राज्य के भीतर राजनीतिक विकल्प के ऊपर भी चर्चा जारी है।

उद्योगपतियों एवं कारोबारियों को सरकार से गिला इस बात का है कि प्रदेश में डिमांड बढ़ने के चलते बिजली की किल्लत पैदा हो गई, लेकिन सरकार ने इंडस्ट्री के लिए बिजली उपलब्ध कराने के लिए कोई प्रयत्न नहीं किया। जब प्रदेश में डिमांड कम हुई तो इंडस्ट्री को बिजली उपलब्ध करवा दी गई। इन 9 दिनों के दौरान एक्सपोर्टर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ा और देश के भीतर के लिए उत्पादन करने वाली इकाइयां भी बंद पड़ी रहीं।

इंडस्ट्री मांग सकती है सरकार से जवाब

सरकार के प्रति गुस्सा कुछ इस कदर बढ़ रहा है कि अब आगामी एक सप्ताह के भीतर कुछ प्रमुख औद्योगिक संगठनों की तरफ से सार्वजनिक तौर पर पंजाब सरकार से इंडस्ट्री के लिए किए गए वादों को पूरा न करने पर जवाब मांगा जा सकता है। इस सप्ताह के भीतर संभावना है कि कुछ इंडस्ट्री संगठन इकट्ठे होकर सरकार को आईना दिखाने की कोशिश करेंगे। पंजाब सरकार पर इंडस्ट्री के साथ वादा खिलाफी करने का आरोप तो लग ही रहा था, लेकिन पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की तरफ से अभी तक इंडस्ट्री के लिए विचार विमर्श न करना भी उद्योगपतियों एवं कारोबारियों को नागवार गुजरा है। फिलहाल इंडस्ट्री की तरफ से अंदरखाते आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने को लेकर भी कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा है।

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