देश पर जान कुर्बान करने वाले शहीदों के परिवारों के लिए सरकार के पास न कोई योजना, न बजट

एक जनवरी 2012 से 27 सितंबर 2018 तक पंजाब के 63 वीर जवान देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। इनमें से कुछ के आश्रितों को तो नौकरी मिल गई लेकिन कई अब राह देख रहे हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Tue, 05 Mar 2019 01:52 PM (IST) Updated:Tue, 05 Mar 2019 01:52 PM (IST)
देश पर जान कुर्बान करने वाले शहीदों के परिवारों के लिए सरकार के पास न कोई योजना, न बजट
देश पर जान कुर्बान करने वाले शहीदों के परिवारों के लिए सरकार के पास न कोई योजना, न बजट

जालंधर [नवीन कुमार]। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा...। रामप्रसाद बिस्मिल का यह प्रसंदीदा नगमा किसे याद नहीं होगा। जब भी वीर रणबांकुरे रणभूमि में जाते हैं, इसी नगमे को गुनगुनाते हैं। इसे दुर्भाग्य ही कहें कि इन वीर सिपाहियों को याद करने के लिए सरकार के पास न हीं कोई योजना है और न ही कोई बजट। एक जनवरी 2012 से 27 सितंबर 2018 तक पंजाब के 63 वीर जवान देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। इनमें से कुछ परिवारों को नौकरी तो मिल गई, लेकिन कुछ को नौकरी नहीं मिली।

पंजाब के मुख्य सचिव से आरटीआइ के तहत यह सारी जानकारी प्राप्त हुई है। विभिन्न जिलों से डिस्ट्रिक्ट डिफेंस सर्विस वेलफेयर अफसर की ओर से भेजी गई जानकारी के मुताबिक गुरदासपुर जिले ने सबसे ज्यादा 11  सपूतों को खोया। होशियारपुर के 10 जवान देश की सेवा करते हुए कुर्बान हुए, जबकि कपूरथला व मोगा के एक-एक जवान शहीद हुए। इन शूरवीरों की इतिहास गाथा सरकार नहीं गाती। हां, इतना जरूर है कि 15 अगस्त व 26 जनवरी शहीद के परिवारों को रेडक्रॉस जैसी संस्थाओं की मदद से एक शॉल व कुछ धनराशि देकर सम्मानित कर दिया जाता है।

राज्य के विभिन्न जिलों से डिस्ट्रिक्ट डिफेंस सर्विस वेलफेयर अफसर (डीडीएसडब्ल्यूओ) की ओर से भेजी गई जानकारी के मुताबिक प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के पास इन वीर शहीदों के मजारों पर हर वर्ष मेले लगाने के लिए योजना नहीं है। जालंधर से मिली जानकारी में यह साफ लिखा है कि इन शहीदों की याद में प्रशासन ने कोई आयोजन नहीं किया, क्योंकि उनके पास फंड नहीं है। इसी प्रकार दूसरे जिलों ने भी यह बात मानी है।

शहीद के नाबालिग बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी नहीं है कोई योजना

पिता जी आप तो देश के लिए शहीद हो गए, हमारा क्या होगा... हर शहीद परिवार के नाबालिग बच्चों के मन में यह यह सवाल जरूर कौंध जाता है। जो जवान देश के लिए कुर्बान हो गए। आतंकवादी से लड़ते हुए मारे गए, उनके बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार के पास कोई योजना हीं नहीं है। उन बच्चों का लालन पालन कैसे होगा, किस प्रकार शिक्षा दी जाएगी। बिना पिता के साये में वह किस प्रकार सबल और एक अच्छे नागरिक बनें, सरकार के पास इसके लिए कोई एक रूपरेखा ही नहीं है।

आठ जवानों की नहीं हुई थी शादी

डीडीएसडब्ल्यूओ की ओर से भेजी दी गई सूचना के मुताबिक आठ जवानों की शादी नहीं हुई थी। इसमें से लुधियाना के दो और रूपनगर, संगरूर व गुरदासपुर के एक-एक शहीद जवान हैं।


पंजाब सरकार ने दी नौ लाख रुपये की सहायता

पंजाब सरकार की ओर से शहीद होने वाले शादीशुदा वीर जवान को 9 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाती है। अविवाहित जवानों के परिजनों को सात लाख रुपये दिए जाते हैं। हालांकि, तरनतारन से मिली जानकारी के मुताबिक पंजाब सरकार ने अब एक्सग्रेसिया 2 लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया है। इसके साथ ही परिवार के सदस्यों को नौकरी भी दी जाती है।

केंद्र सरकार की ओर से दी जाने वाली राशि की स्पष्ट जानकारी नहीं

केंद्र सरकार की ओर से इन शहीद परिवार को कितनी राशि दी जाती है, इसकी स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। इसमें कहा गया गया है कि एजीआइ व एक्सग्रेसिया सरकारी नियमानुसार दी जाती है।

19 परिवारों को नौकरी देने की प्रक्रिया जारी

63 शहीद सैनिकों में से 19 परिवारों को अभी तक नौकरी नहीं मिली है। इनको नौकरी देने की प्रक्रिया जारी है। जिसमें से पटियाला में एक, पठानकोट में चार, अमृतसर में एक, बठिंंडा में दो, संगरूर में एक, होशियारपुर में तीन और गुरदासपुर में एक केस में नौकरी नहीं मिली है।

इन जिलों में इतने जवान हुए शहीद

पटियाला              तीन

पठानकोट            पांच

मोगा                  एक

कपूरथला             एक

अमृतसर              आठ

लुधियाना             दो

फिरोजपुर            चार

रूपनगर              चार

बठिंडा                छह

जालंधर               दो

संगरूर                 चार

होशियारपुर           10

गुरदासपुर             11

इसके साथ ही फतेहगढ साहिब, बरनाला, फरीदकोट और मुक्तसर  से एक भी जवान शहीद नहीं हुआ।

यह मांगी थी सूचना एक जनवरी 2012 से 27 सितंबर 2018 तक पंजाब के कुल कितने जवान शहीद हुए हैं। प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की ओर इन शहीदों के परिवार को कितनी सहायता राशि दी जाती है। एक जनवरी 2012 से 27 सितंबर 2018 तक कितने शहीद परिवारों को सहायता राशि उपलब्ध करवाई गई है और कितने शहीद परिवारों तक यह सहायता राशि नहीं पहुंच पाई है। जिले वार सूचनाएं उपलब्ध करवाएं। प्रदेश सरकार द्वारा कितने शहीद के परिवार को विशेष उपलब्धि के लिए सम्मानित किया गया है। जिले वार सूचनाएं उपलब्ध करवाएं। शहीद परिवार के नाबालिग बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए और उनकी विधवा, माता-पिता की देखरेख के लिए प्रदेश सरकार की कोई योजना है। अगर है तो एक जनवरी 2012 से 27 सितंबर 2018 तक कितने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाया जा चुका है।

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