Punjab Farmers Protest: गिद्दड़बाहा में किसानों ने कैबिनेट मंत्री राजा वड़िंग को घेरा, दोनों पक्षों में जमकर बहस

अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग वीरवार को पहली बार अपने गिद्दड़बाहा हलके के दौरे पर पहुंचे। इस दौरान उन्हें गांव छठतेआना में किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। मौके पर उनकी किसानों के साथ सवाल-जवाब के दौरान बहस भी हुई।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Thu, 30 Sep 2021 04:58 PM (IST) Updated:Thu, 30 Sep 2021 05:04 PM (IST)
Punjab Farmers Protest: गिद्दड़बाहा में किसानों ने कैबिनेट मंत्री राजा वड़िंग को घेरा, दोनों पक्षों में जमकर बहस
गिद्दड़बाहा में किसानों के प्रश्नों का उत्तर देते हुए परिवहन मंत्री राजा वड़िंग।

जासं, दोदा (श्री मुक्तसर साहिब)। पंजाब के ट्रांसपोर्ट मंत्री बनने के बाद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग वीरवार को पहली बार अपने गिद्दड़बाहा हलके के दौरे पर पहुंचे। इस दौरान उन्हें गांव छठतेआना में किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। विरोध के बावजूद उन्होंने किसानों के सवालों के जवाब दिए। राजा वड़िंग छठतेआना स्थित एतिहासिक गुरुद्वारा श्री मुक्तसर साहिब में माठथा टेकने पहुंचे थे। वहां पर पहले ही भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के जिला महासचिव निर्मल सिंह जस्सेआना की अगुआई में किसान खड़े थे। वे जहां राजा वड़िंग के दौरे को शक्ति प्रदर्शन बताते हुए उसका विरोध जता रहे थे। वहीं उनसे सवाल भी पूछना चाह रहे थे। इस मौके पर किसानों और पुलिस के बीच जमकर धक्कामुक्की भी हुई। फिर भी, राजा वड़िंग गुरुद्वारा में माथा टेकने के बाद किसानों के पास पहुंच गए और उनके सवालों का जवाब देने लगे। इस सवाल-जवाब के दौरान किसानों और राजा वड़िंग के बीच जमकर बहस हुई।

किसानों के 1995 के गैट समझौते संबंधी पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कह दिया कि वह उस समय महज 14 साल के थे। उन्हें कुछ नहीं पता। 1984 के सिख कत्लेआम के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह उस समय केवल छह साल के थे। इसके बावजूद कांग्रेस नेताओं की ओर से कई बार इसकी माफी मांगी जा चुकी है। किसानों के पूरा कर्ज न माफ करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जिस समय कांग्रेस की सरकार बनी थी, तब खजाने में 31 हजार करोड़ रुपये थे। सरकार के शपथ उठाने से पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने वह राशि केंद्र सरकार को ट्रांसफर कर दी। जिस कारण पूरे कर्ज माफ नहीं किए जा सके। जितने पैसे खजाने में थे, उससे जितने कर्ज माफ हो सके, वे कर दिए गए।

किसानों ने 1984 के कत्लेआम को लेकर उनसे कांग्रेस छोड़ने की मांग की लेकिन राजा वड़िंग ने स्पष्ट कह दिया कि वह अपनी पत्नी के कहने पर भी कभी कांग्रेस पार्टी नहीं छोड़ेंगे। किसान राजा वड़िंग के उत्तरों से संतुष्ट नहीं हो रहे थे। इस पर दोनों के बीच जमकर बहस हुई। राजा वड़िंग ने इस बात को लेकर भी किसानों को घेरा कि केवल अकेली उनकी जत्थेबंदी ही उनका विरोध कर रही है। अन्य 30 किसान संगठन उसका कोई विरोध नहीं कर रहे हैं। राजा वड़िंग ने किसानों से यह भी कहा कि वे किसानी मसले से संबंधित सवाल पूछने के बजाय उनके साथ राजनीति कर रहे हैं जो कि बहुत गलत बात है। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।

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