शिअद से गठबंधन की अटकलों के बीच असमंजस में बसपा कैडर, हाईकमान के आदेशों का इंतजार
पंजाब विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का कैडर गठबंधन की अटकलों के मध्य असमंजस से घिरा हुआ नजर आ रहा है। गठबंधन को लेकर जमीनी स्तर से जुड़े बसपा के मिशनरी वर्करों से किसी तरह का कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया है।
जालंधर, [मनुपाल शर्मा]। प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का कैडर गठबंधन की अटकलों के मध्य असमंजस से घिरा हुआ नजर आ रहा है। गठबंधन को लेकर जमीनी स्तर से जुड़े बसपा के मिशनरी वर्करों से किसी तरह का कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया है और न ही उनकी राय ही जानी गई है।
हालांकि बीते कुछ महीनों से ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि बसपा आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, भाजपा एवं आम आदमी पार्टी (आप) के खिलाफ किसी अन्य राजनीतिक पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ सकती है। पार्टी की वरिष्ठ लीडरशिप गठबंधन को लेकर कुछ भी साफ नहीं कर रही है। प्रदेश नेतृत्व लगातार यही रट लगाए हुए है कि हाईकमान से आने वाले आदेशों के मुताबिक ही आगामी चुनाव की गठबंधन रणनीति तैयार की जाएगी।
शिअद दे चुकी है डिप्टी सीएम पद का आफर
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की तरफ से 14 अप्रैल को जालंधर में घोषणा की गई है कि अगर 2022 में शिअद की सरकार बनती है तो फिर अनुसूचित जाति से संबंधित विधायक को डिप्टी सीएम का पद दिया जाएगा। सुखबीर सिंह बादल की इस घोषणा को भी शिअद का विधानसभा चुनाव में बसपा के साथ होने वाले किसी संभावित गठबंधन के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। कुछ महीने पहले हुए स्थानीय निकाय चुनाव में भी यह चर्चा रही थी कि बसपा की तरफ से अंदर खाते शिअद के साथ गठबंधन में ही चुनाव लड़ा गया है, लेकिन बसपा नेताओं की तरफ से लगातार इसका खंडन किया जाता रहा।
पार्टी हाईकमान के फैसले को ही गठबंधन का अंतिम फैसला बताया जा रहा है और बसपा वर्करों को भी इस फैसले के मुताबिक चुनाव की तैयारी में जुट जाने की नसीहत दी जा रही है। हालांकि गठबंधन होगा अथवा नहीं। अगर होगा तो किस पार्टी के साथ होगा, इसे लेकर फिलहाल असमंजस ही है।