जलियांवाला बाग का नाम पंजाबी में सबसे ऊपर न रखने का विरोध, प्रबंधन करेगा बदलाव
अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग की रेनोवेशन पर विवाद के बाद अब एंट्रेंस गेट पर लिखे उसके नाम को लेकर विवाद शुरू हो गया है। कुछ संगठनों ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि बाग का पंजाबी में नाम हिंदी और अंग्रेजी के बाद लिखा गया है।
जासं, अमृतसर: जलियांवाला बाग के नवीनीकरण पर आपत्ति जताने के बाद कुछ संगठनों ने इसके प्रवेश द्वार पर बाग का नाम पंजाबी में सबसे ऊपर न लिखने पर विरोध जताया है। प्रवेश द्वार पर शहीद ऊधम सिंह की प्रतिमा के पास जलियांवाला बाग का नाम तीन भाषाओं हिंदी, पंजाबी व अंग्रेजी में लिखा गया है। नवीनीकरण से पहले हिंदी को पहले, पंजाबी को दूसरे और अंग्रेजी को तीसरे स्थान पर रखा गया था। नवीनीकरण के बाद पंजाबी को तीसरे नंबर पर कर दिया गया था। संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि पंजाब से जुड़ी इस यादगार पर पंजाबी में लिखा नाम सबसे ऊपर होना चाहिए। प्रबंधन ने भी उनकी मांग मान ली है और अब इसमें बदलाव किया जाएगा।
देशभगत यादगार कमेटी, नौजवान भारत सभा, पंजाब स्टूडेंट यूनियन, किसान सभा व कृषि मजदूर सभा की आपत्ति के बाद जलियांवाला ट्रस्ट प्रबंधन ने इन्हें हटा दिया है। देशभगत यादगार कमेटी के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य अजमेर सिंह, गुरमीत सिंह, डा. परमिदर, अमोलक सिंह और रत्न सिंह रंधावा ने कहा कि नवीनीकरण में इसे मूल रूप का ध्यान रखा जाना चाहिए था। जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट के सचिव एसके मुखर्जी ने कहा कि कुछ संगठनों ने जलियांवाला बाग का नाम पंजाबी में सबसे ऊपर न लिखने का विरोध किया था। अब इसे हटा दिया गया है। जल्द ही पंजाबी में नाम सबसे ऊपर लिखकर इसे दुरुस्त कर दिया जाएगा।
रेनोवेशन पर सवाल उठा चुके हैं लोग
इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से करवाई गई जलियांवाला बाग की रेनोवेशन पर भी कई संगठन और इतिहासकार प्रश्न उठा चुके हैं। उन्होंने रेनोवेशन के दौरान बाग की मूल संरचना से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है।विरोध करने वालों का दावा है कि रेनोवेशन के दौरान उस गली के साथ छेड़छाड़ की गई, जिससे होकर जनरल डायर बाग के अंदर सैनिको को लेकर घुसा था। शहीदी कुएं की रेनोवेशन पर भी सवाल खड़े किए गए हैं।