टोल कलेक्शन बंद रहने की कामना कर रहे निजी बस ऑपरेटर, पहले ही बंद रखे हुए हैं 40 फीसद ऑपरेशन

निजी बस ऑपरेटरों का कहना है कि खर्च पूरा न हो पाने की वजह से ही मौजूदा समय में भी 40 फीसद के लगभग बसों को रूट पर रवाना ही नहीं किया जा रहा है क्योंकि बस को चलाने से ज्यादा नुकसान हो रहा है।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 10:30 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 10:30 AM (IST)
टोल कलेक्शन बंद रहने की कामना कर रहे निजी बस ऑपरेटर, पहले ही बंद रखे हुए हैं 40 फीसद ऑपरेशन
निजी बस ऑपरेटर टोल कलेक्शन बंद रहने की कामना कर रहे हैं।

जालंधर [मनुपाल शर्मा]। आर्थिक संकट से घिरे प्रदेश के निजी बस ऑपरेटर भविष्य में भी टोल कलेक्शन बंद ही रहने की कामना कर रहे हैं। डीजल की अत्यधिक तेजी से बढ़ी कीमतें, कम यात्री, महंगी अड्डा फीस से परेशान निजी बस ऑपरेटरों का तर्क है कि प्रदेश में टोल कलेक्शन शुरू होते ही कई बस कंपनियों के ऊपर ताला ही लग जाएगा। किसान आंदोलन के चलते बीते सितंबर महीने से प्रदेश में टोल कलेक्शन बंद पड़ी हुई है। निजी बस ऑपरेटरों का कहना है कि खर्च पूरा न हो पाने की वजह से ही मौजूदा समय में भी 40 फीसद के लगभग बसों को रूट पर रवाना ही नहीं किया जा रहा है, क्योंकि बस को चलाने से ज्यादा नुकसान हो रहा है। ऐसे हालातों में अगर टोल टैक्स की वसूली शुरू हो जाती है तो फिर ऑपरेटर को अपनी जेब से ही खर्च निकालना होगा जो किसी भी हालत में व्यवसाय को चालू रखने के पक्ष में नहीं होगा।

बस ऑपरेटर नरेश कुमार ने कहा कि इस समय तो बड़े ट्रांसपोर्टरों के लिए भी बसों का संचालन कर पाना बेहद मुश्किल हो गया है। जिस ट्रांसपोर्ट की एक अथवा दो बसें हैं, वह तो पहले से ही तालाबंदी के करीब खड़े हैं। टोल टैक्स वसूली सरकार ने इतनी ज्यादा कर रखी है कि प्रत्येक बस ऑपरेटर को अन्य खर्च के अलावा टोल टैक्स भी देना असंभव है। सरकार ने अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए अड्डा फीस और डीजल की कीमत भी बढ़ा रखी है, जो ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को मार रही है। नरेश कुमार ने कहा कि जिस दिन राज्य में टोल कलेक्शन शुरू हो गई तत्काल 50 फीसद से ज्यादा बसें उसी दिन खड़ी हो जाएंगी।

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