गुमनाम जिंदगी जी रहे पाकिस्तान से रिहा हुए कैदी, 19 में से सात को तो अपना नाम व पता नहीं मालूम; अमृतसर में चल रहा इलाज

अमृतसर में विद्यासागर मनोरोग अस्पताल के डायरेक्टर डा. सविंदर सिंह ने बताया कि यह रिपेट्रिएट मरीज गुमनामी का जीवन बसर कर रहे हैं। रिकार्ड के मुताबिक 14 अगस्त 2007 को पाकिस्तान ने अलग-अलग सीमाओं पर कंटीली तार के समीप घूमते व्यक्तियों को पकड़कर जेलों में डाल दिया था।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Sat, 04 Sep 2021 11:14 AM (IST) Updated:Sat, 04 Sep 2021 11:14 AM (IST)
गुमनाम जिंदगी जी रहे पाकिस्तान से रिहा हुए कैदी, 19 में से सात को तो अपना नाम व पता नहीं मालूम; अमृतसर में चल रहा इलाज
अमृतसर के अस्पताल में पाकिस्तान से रिहा हुए कैदियों का चल रहा इलाज।

अमृतसर [गुरजिंदर माहल]। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की ओर से भारत-पाकिस्तान सीमा के नजदीक कंटीली तार के पास पकड़े गए मंदबुद्धि लोग रिहाई की उम्मीद में गुमनाम जिंदगी जी रहे हैं। अमृतसर के विद्यासागर मनोरोग अस्पताल को जब इनकी सुपुर्दगी हुई तो इन 19 कैदियों की मानसिक हालत बहुत दयनीय थी। इनका प्राथमिक चेकअप व पुलिस जांच के बाद अस्पताल में भेज दिया गया। वहां इनका लंबे समय तक इलाज चला। विद्यासागर मनोरोग अस्पताल के डायरेक्टर डा. सविंदर सिंह ने बताया कि यह रिपेट्रिएट मरीज गुमनामी का जीवन बसर कर रहे हैं। रिकार्ड के मुताबिक 14 अगस्त, 2007 को पाकिस्तान ने अलग-अलग सीमाओं पर कंटीली तार के समीप घूमते व्यक्तियों को पकड़कर जेलों में डाल दिया। परंतु समय बीतने के बाद पाकिस्तान सरकार ने इन मरीजों को भारत सरकार को सौंप दिया।

पाकिस्तान से छूटकर आए इन लोगों को अमृतसर के रेड क्रास भवन के अधिकारियों के सुपुर्द किया गया और वहां से उन्हें इलाज के लिए विद्यासागर अस्पताल लाया गया। इसके बाद तत्कालीन डायरेक्टर बीएल गोयल तीन साल तक पुलिस और केंद्र सरकार के साथ इन लोगों को उनके घर भेजने के लिए जद्दोजहद करते रहे। बाद में 12 मरीजों को उनके घर पहुंचाया गया। अब यहां सात मरीज, न नाम बता पाते हैं और न ही पता। डा. सविंदर ने बताया कि अब यहां सात मरीज हैं। पाकिस्तान की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार उनका नाम मोहम्मद इकबाल, चांडी, रामू, नसीब, माया, गोपाल भगत और फरुख बताया गया है। यह जानकारी सही है या नहीं, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सका। ये सातों लोग अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। इन सभी को अलग वार्ड में रखा गया है। उनकी हालत ऐसी है कि न तो वह अपना कोई नाम बता पाते हैं और न ही घर के पते के बारे में कुछ बता पाते हैं।

बताए पते पर की जांच, गलत निकली जानकारी

डा. सविंदर सिंह के अनुसार इनमें से कुछ ने कई साल पहले अपना नाम और अपने घर का पता भी बताया था। परंतु जब वहां तक पहुंच की गई तो वह सब कुछ गलत निकला। अब वह रैन बसेरा को ही अपना घर व परिवार समझने लगे हैं। त्रासदी यह है कि इन मरीजों का अभी तक यह नहीं पता लग पाया कि यह भारत के निवासी हैं या पाकिस्तान के। क्योंकि इनको रिपेट्रिएट का नाम देकर भारत भेजा गया था।

chat bot
आपका साथी