आधार वाली सीटें छोड़ने से बसपा वर्करों में नाराजगी, बगावत का खतरा

अकाली दल से गठजोड़ के तहत आधार वाली सीटें छोड़ने से बसपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इंटरनेट मीडिया पर कार्यकर्ताओं का गुस्सा दिखने लगा है ऐसे में पार्टी फैसले के खिलाफ छोटे गुटों में कई मीटिग होने की खबर भी आ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 06:03 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 06:03 AM (IST)
आधार वाली सीटें छोड़ने से बसपा वर्करों में नाराजगी, बगावत का खतरा
आधार वाली सीटें छोड़ने से बसपा वर्करों में नाराजगी, बगावत का खतरा

जागरण संवाददाता जालंधर : अकाली दल से गठजोड़ के तहत आधार वाली सीटें छोड़ने से बसपा कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इंटरनेट मीडिया पर कार्यकर्ताओं का गुस्सा दिखने लगा है, ऐसे में पार्टी फैसले के खिलाफ छोटे गुटों में कई मीटिग होने की खबर भी आ रही है। बसपा कार्यकर्ता सीटों के बंटवारें को लेकर आरोप लगा रहे हैं कि दलितों के हक अकाली दल को बेचे गए और बसपा के प्रदेश नेतृत्व ने हाईकमान को गुमराह किया।

जालंधर की बात करें तो समझौते के तहत जालंधर जिले में बसपा को जो 3 सीटें मिली हैं उनमें से सिर्फ एक सीट करतारपुर पर बसपा को अकाली दल से मिलकर लड़ने का फायदा मिल सकता है। बसपा के बड़े आधार वाली तीन सीटों फिल्लौर, आदमपुर, करतारपुर में से दो सीट अकाली दल को छोड़ने से कार्यकर्ता बगावत पर उतर सकते हैं। फिल्लौर में तो बसपा हर बार तिकाने मुकाबले में मामूली अंतर से हारी है। आदमपुर में भी बसपा का अच्छा वोट बैंक है। बसपा को जो 3 सीटें दी गई हैं उनमें से दो सीटों जालंधर नार्थ और जालंधर वेस्ट में भाजपा चुनाव लड़ती रही है। जालंधर वेस्ट और जालंधर नार्थ में पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा को दो फीसद से भी कम वोट मिले थे। हालांकि साल 2012 के चुनाव में बसपा 6फीसद के आसपास वोट ले गई थी लेकिन साल 2017 के चुनाव में बसपा के वोट बैंक में आम आदमी पार्टी ने बड़ी सेंधमारी की थी। इस बार आम आदमी पार्टी अभी अपने रंग में नहीं आ पाई जिससे बसपा का वोट बैंक वापस आ सकता है। ऐसे में अगर बसपा को उसके आधार वाली सीटें मिले तो बसपा की पंजाब में राजनीतिक जमीन मजबूत हो सकती है। अकाली दल को करारी मात मिलेगी :सुनील ज्योति

अकाली दल के बसपा के साथ समझौते पर सीनियर भाजपा नेता एवं पूर्व मेयर सुनील ज्योति ने कहा कि भाजपा के साथ दशकों तक सत्ता का सुख भोगने वाले अकाली दल को अब मजबूरी में बसपा से समझौता करना पड़ रहा है। पंजाब में बसपा का आधार खत्म हो चुका है और चुनाव में अकाली दल को करारी हार मिलेगी। दावा किया कि भाजपा सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़कर अपना मुख्यमंत्री बनाएगी। अकाली दल में भी नाराजगी, कीमती भगत ने दोबारा मंथन की अपील की

बसपा से गठजोड़ का अकाली नेताओं पर भी पड़ा है। जालंधर वेस्ट हलके से अकाली नेता कीमती भगत चुनाव की तैयारी कर रहे थे। कीमती भगत गोसेवा कमीशन के पूर्व चेयरमैन है और भाजपा को छोड़कर अकाली दल में शामिल हो गए थे। भगत ने पार्टी से अपील की है कि जालंधर वेस्ट सीट बसपा को देने पर दोबारा मंथन किया जाए। इस सीट पर अकाली दल पहले से मजबूत हुआ है और कांग्रेस को टक्कर देने की स्थिति में है। मायावती ने दलितों से धोखा किया :चौधरी

सांसद चौधरी संतोख सिंह ने कहा कि एक बार फिर बसपा सुप्रीमो मायावती ने समुदाय के साथ धोखा किया है। अकाली दल पूरी तरह से दलित विरोधी है और मायावती ने उसके साथ समझौता करके दलितों के हित बेच दिए हैं। बसपा और अकाली दल हमेशा से ही अंदर खाते मिलकर चुनाव लड़ते हैं लेकिन इस बार सच्चाई सामने आ गई है।

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