पंजाब की सबसे युवा सरपंच पल्लवी ठाकुर ने सूझबूझ से रोका कोरोना, पीएम नरेंद्र मोदी भी हुए मुरीद
ये हैं पल्लवी ठाकुर। यह पंजाब की सबसे युवा सरपंच हैं। कोरोना काल में पल्लवी ने अपने कामों से गांव को कोरोना से बचाया। वह खुद ही गलियों में सेनिटाइजेशन करती नजर आई और ग्रामीणों के लिए खुद ही मास्क बनाए।
पठानकोट [विनोद कुमार]। कोरोना काल में जिंदगी मानो ठहर सी गई थी। हर कोई घर में कैद था। हर जगह कोरोना का खौफ था। इस बीच, पंजाब की सबसे युवा सरपंच देश के लिए मिसाल बन कर उभरीं। पठानकोट के गांव हाड़ा की 21 वर्षीय सरपंच पल्लवी ठाकुर ने फ्रंट लाइन पर आकर जरूरतमंदों की सेवा की। इतना ही नहीं वह सूझबूझ के दम पर अपने क्षेत्र में कोरोना को रोकने में भी कामयाब रहीं। उनके गांव में अब तक कोरोना का कोई भी केस नहीं आया है। उन्होंने पंजाब में सबसे पहले अपने स्तर पर गांव की नाकाबंदी करवाई और संक्रमण को फैलने से रोका।
अद्र्ध पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां मास्क पहुंचना मुश्किल था। शहर की आवाजाही पूरी तरह बंद थी। उन्होंने अपने परिवार के साथ मिलकर खुद लोगों के लिए मास्क बनाने का काम शुरू किया और घर-घर जाकर मास्क बांटे। लोगों को शारीरिक दूरी का महत्व बताया। उन्हें काम करते देख आस-पड़ोस की कई महिलाएं उनके साथ हाथ बंटाने लगीं।
पंजाब सरकार ने भी उनके काम की सराहना की। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में पल्लवी के प्रयासों को सराहा। महिला दिवस पर आयोजित मन की बात में प्रधानमंत्री ने उनसे बात भी की। प्रधानमंत्री ने कहा कि पल्लवी ने छोटी सी आयु में जो कर रही हैं, वह बाकी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके काम की पूरे देश में चर्चा है।
खुद किया गांव को सैनिटाइज
पल्लवी ठाकुर ने अपने पिता के सहयोग से खुद पूरे गांव को सैनिटाइज करने का काम शुरू किया। जरूरतमंद लोगों को जेब से पैसे देकर उनकी मदद की। केंद्र से मिले फंड का इस्तेमाल जरूरतमंद लोगों के लिए किया। चार महीने तक पंजाब व केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध करवाए गए राशन को अपनी निगरानी में बंटवाया। बच्चों के लिए आनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की। उन्हें आर्थिक मदद भी मुहैया करवाई। पंचायत चुनाव के समय पल्लवी बीएससी (आइटी) के छठे समेस्टर की विद्यार्थी थीं।
पल्लवी की माता गीता देवी सरपंच पद का चुनाव लडऩा चाहती थी, लेकिन बाद में उन्होंने मना कर दिया। इस पर पल्लवी मैदान में उतरीं और जीत हासिल की। वह सबसे कम उम्र की सरपंच बनीं। पल्लवी के पिता केवल सिंह किसान हैं। माता गीता देवी गृहिणी हैं। दो छोटे भाई हैं। अंकुश ने इसी वर्ष स्नातक की शिक्षा पूरी की है, जबकि छोटा भाई जसराज बारहवीं कक्षा में पढ़ रहा है। दोनों राज्यस्तरीय रेसलिंग मुकाबलों में हिस्सा ले चुके हैं।
अब गांव की सूरत बदलने में जुटीं
पल्लवी दो वर्षों में गांव के विकास पर 65 लाख रुपये खर्च कर चुकी हैं। अब वह गांव की सूरत बदलने में जुटी हैं। उन्होंने गांव की सभी गलियों और नालियों का पक्का करवा दिया है। श्मशानघाट को भी नया रूप दिया है। सड़क किनारे पक्के फुटपाथ बनाए हैं। हरियाली के लिए पौधे लगाए हैं।