पितृ दोष से मुक्ति पाने को समर्पण भाव से करें श्राद्ध, ऐसे प्राप्त करें पितरों का आशीर्वाद
लोग श्राद्ध के दिन वास्तव में अपने पूर्वजों को समर्पित संकल्प करने के दिन भी हैं। यही कारण है कि पितर दोष को ख़त्म करने के लिए लोग वर्ष भर श्राद्ध के दिन का इंतजार भी करते हैं।
जागरण संवाददाता, जालंधर। पितृ दोष से मुक्ति पाने को श्राद्ध शुरू हो चुके हैं। अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष में पितरों का श्राद्ध करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। सनातन धर्म के अनुसार समर्पित भाव से श्राद्ध करने से कुंडली में मौजूद पितर दोष का असर कम हो जाता है। इस बार श्राद्ध 20 से शुरू होकर 6 अक्टूबर तक चलेंगे। इस बीच पूर्वजों को समर्पित श्राद्ध करने के दौरान तमाम रस्में विधिवत पूरी करनी चाहिए।
प्राचीन शिव मंदिर गुड़ मंडी के प्रमुख पुजारी पंडित नारायण शास्त्री बताते हैं कि श्राद्ध के दिन वास्तव में अपने पूर्वजों को समर्पित संकल्प करने के दिन भी हैं। पितर दोष को खत्म करने के लिए लोग वर्ष भर श्राद्ध के दिन का इंतजार भी करते हैं। इन दिनों में पूर्वजों के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं। इसमें पुरोहित को घर बुलाकर व हवन करवाया जाता है। उन्हें भोजन करवाकर पितृदोष से मुक्ति पाई जाती है।
ऐसे करें श्राद्ध पूजन
श्री कृष्ण संकीर्तन मंदिर के प्रमुख पुजारी पंडित आदित्य प्रसाद शुक्ला बताते हैं कि श्राद्ध को विधिवत संपन्न करना चाहिए। इसके लिए पूजा स्थान को गाय के गोबर से लेप करके व गंगाजल से पवित्र करें। घर की महिलाएं पितरों के लिए भोजन तैयार करें। इसके उपरांत ब्राह्मण को घर बुलाकर पितरों की पूजा और तर्पण कार्य संपन्न करवाएं। पितरों के समक्ष अग्नि में गाय का दूध, दही, घी व खीर अर्पित करें। इसके उपरांत पितरों के लिए बनाए गए भोजन से एक गाय, एक कुत्ते, एक कौअे तथा एक अतिथि के लिए निकालें। वहीं, ब्राह्मण को यथाशक्ति वस्त्र दक्षिणा देकर विदा करें।
तिथि के मुताबिक करें श्राद्ध
ज्योतिषाचार्य नरेश नाथ बताते हैं कि पितरों के निधन के मुताबिक तिथि के हिसाब से उनका श्राद्ध करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस तिथि को पूर्वजों का निधन हुआ है अपने पुरोहित से उस तिथि के मुताबिक श्राद्ध की तिथि निकलवानी चाहिए। अगर पूर्वजों के निधन की तिथि का ज्ञान नहीं तो अमावस्या का श्राद्ध करने से भी पितरों का आशीर्वाद लिया जा सकता है।