एक महीने में ढाई रुपए महंगा हुआ पेट्रोल, कच्चे तेल की कीमत अभी भी 70 डॉलर प्रति बैरल से कम

जालंधर में बीते एक महीने के दौरान पेट्रोल की कीमतों में लगभग ढाई रुपए प्रति लीटर का इजाफा हो चुका है और लगभग इतनी ही वृद्धि डीजल की कीमतों में भी हुई है। पेट्रोलियम व्यवसाय कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान बिक्री में लगभग 20 फीसद की गिरावट झेल रहा है।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 11:49 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 11:49 AM (IST)
एक महीने में ढाई रुपए महंगा हुआ पेट्रोल, कच्चे तेल की कीमत अभी भी 70 डॉलर प्रति बैरल से कम
कच्चा तेल सस्ता होने के बावजूद लगातार पेट्रोल डीजल के मूल्य में वृद्धि किए जा रही हैं।

जालंधर, [मनुपाल शर्मा]। कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए लगाए जा रहे लॉकडाउन एवं कर्फ्यू के चलते लोग भारी आर्थिक संकट से घिरे हुए हैं, लेकिन तेल कंपनियां लगातार पेट्रोल डीजल के मूल्य में वृद्धि किए जा रही हैं।  

महानगर जालंधर में ही बीते एक महीने के दौरान पेट्रोल की कीमतों में लगभग ढाई रुपए प्रति लीटर का इजाफा हो चुका है और लगभग इतनी ही वृद्धि डीजल की कीमतों में भी हुई है। हालांकि पेट्रोलियम व्यवसाय कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान बिक्री में लगभग 20 फीसद की गिरावट झेल रहा है। 18 मई को जालंधर में पेट्रोल की कीमत 94.09 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमत 85.54 रुपए प्रति लीटर थी, जबकि ठीक एक महीना पहले  पेट्रोल 91.67 रुपए प्रति लीटर और डीजल 82.72 रुपए प्रति लीटर की दर पर उपलब्ध था।

पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन, पंजाब (पीपीडीएपी) के अध्यक्ष परमजीत सिंह दोआबा एवं प्रवक्ता मोंटी गुरमीत सहगल ने कहा कि तेल कंपनियों की गणना अब उनकी समझ से भी परे है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा समय में भी 70 डॉलर प्रति बैरल से कम है, लेकिन तेल कंपनियां आंखें मूंदकर मुनाफा कमाने की होड़ में लगातार कीमतों में इजाफा कर रही हैं। ए

सोसिएशन के महासचिव डॉ मंजीत सिंह ने कहा कि पहले ही पड़ोसी राज्यों की तुलना में पंजाब में तेल की कीमतें 5 रुपए प्रति लीटर महंगा है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता तो महंगी कीमत अदा कर ही रहे हैं, लेकिन पेट्रोलियम डीलर भी 20 फीसद बिक्री में गिरावट की वजह से आर्थिक संकट से घिरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि तेल कंपनियों को तत्काल तेल की कीमतों में कटौती करनी चाहिए और डीलर मार्जन को भी बढ़ाया जाना चाहिए, जो बीते चार वर्षों से नहीं बढ़ाया जा सका है।

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