जालंधर की शानः बड़े-बड़े डाक्टरों के गुरु हैं डा. रवि पाल, पहले बाल रोग विशेषज्ञ जिन्होंने शहर में शुरू की निजी प्रैक्टिस

डा. रविपाल कहते है कि वह अमृतसर में डीएवी कालेज में साइंस के पहले विद्यार्थी थे। उन्होंने पहले सरकारी मेडिकल कालेज में पांच साल तक विद्यार्थियों को पढ़ाया। इसके बाद 1970 में सिविल अस्पताल में जालंधर में पहले बाल रोग माहिर नियुक्त हुए।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Sun, 21 Nov 2021 10:59 AM (IST) Updated:Sun, 21 Nov 2021 03:43 PM (IST)
जालंधर की शानः बड़े-बड़े डाक्टरों के गुरु हैं डा. रवि पाल, पहले बाल रोग विशेषज्ञ जिन्होंने शहर में शुरू की निजी प्रैक्टिस
डा. रविपाल शहर के पहले बाल रोग विशेषज्ञ डाक्टर हैं। स्वयं।

जगदीश कुमार, जालंधर। डा. रवि पाल शहर की एक ऐसी शख्सियत है, जिनसे हर वर्ग का व्यक्ति जुड़ा है। बात चाहे बच्चों के इलाज की हो या फिर डाक्टरों को पढ़ाया हो। डा. रविपाल शहर के पहले बाल रोग माहिर डाक्टर है। डा. रविपाल सरकारी मेडिकल कालेज अमृतसर से बच्चों की बीमारियों का इलाज करने वालों में पोस्टग्रेजुशन करने वाले पहले चंद डाक्टरों में शामिल है। वह शहर के पटेल अस्पताल के डा. बीएस चोपड़ा व उनकी पत्नी, चरम रोग माहिर डा. पीएश अनेजा व उनकी पत्नी, महिला रोग माहिर डा. सुषमा चावला, डा. प्रेम राणा तथा डा. यूएस घई सहित अनेक बड़े डाक्टरों के गुरू है। उन्होंने इन डाक्टरों से मरीजों की जांच व इलाज के गुर सिखाएं थे।

आजादी से पहले 22 सितंबर, 1941 को जन्मे डा. रविपाल कहते है कि वह अमृतसर में डीएवी कालेज में साइंस के पहले विद्यार्थी थे। उन्होंने पहले सरकारी मेडिकल कालेज में पांच साल तक विद्यार्थियों को पढ़ाया। इसके बाद 1970 में सिविल अस्पताल में जालंधर में पहले बाल रोग माहिर नियुक्त हुए। सरकार की ओर से उन्हें कार दी गई थी। वह करतापुर, आदमपुर, शाहकोट सहित अनेक स्वास्थ्य केंद्रों में जाकर बच्चों की स्वास्थ्य की जांच करके उनका इलाज करते थे।

जालंधर में आईएमए का विस्तार किया

जब जालंधर पहुंचे तो आईएमए के केवल 25 सदस्य थे। उन्होंने इसका विस्तार किया। वह आईएमए और इंडियन अकादमी आफ पीडियाट्रिक्स का हिस्सा बने और दोनों संस्थाओं के स्तर को ऊंचा करने में अहम भूमिका अदा की। उन्होंने कहा कि 1972 में बतौर बाल रोग माहिर शहर में निजी प्रैक्टिस करने वाले डाक्टर बने। पक्का बाग के पास क्लीनिक खोला और जरूरतमंद लोगों के बच्चों के इलाज का सफर शुरू किया। उसके बाद शहीद ऊधम सिंह नगर में अस्पताल खोल कर सेवाओं का विस्तार किया। डा. रवि पाल आईएमए और रोटरी क्लब के प्रधान भी रह चुके हैं  उपलब्धियों भरे जीवन के चलते नेशनल व इंटरनेशनल स्तर की संस्थाओं ने उन्हें कई बार सम्मानित किया है।

आज के डाक्टरों पर सवालिया निशान

डा. रवि पाल ने कहा कि पहले और वर्तमान समय में मेडिकल प्रैक्टिस में बहुत अंतर आ गया है। पहले आईसीयू की सुविधा नहीं थी। आम लोग डाक्टरों का सम्मान करते थे। अब लोग डाक्टरों के इलाज पर सवालिया निशान लगाकर उन्हें कठघरे में खड़ा करने लगे हैं।

रोटरी क्लब के माध्यम से करते हैं जरूरतमंदों की सेवा

डॉ. पाल ने अन्य वरिष्ठ सदस्यों के साथ स्थानीय आईएमए हाउस के लिए भूमि अधिग्रहण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई व मेहनती, कर्मठ व योग्य इस शख्शियत ने विभिन्न व्यावसायिक सामाजिक और सरकारी संगठनों से भी कई पुरस्कार प्राप्त किए। वह बच्चों की बीमारियां के इलाज में जरूरतमंद लोगों की सहायता कर रहे हैं। वह रोटरी क्लब के विशेष प्रोजेक्टों को लेकर अमेरिका भी गए। हाल ही में उन्हें अमृतसर में आयोजित पंजाब पीडियाट्रिक्स कांफ्रेंस 'पनपेडीकोन' में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। इंडियन अकादमी आफ पीडियाट्रिक्स की पंजाब शाखा की ओर से अमृतसर में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में उन्हें आईएपी के राष्ट्रीय प्रधान डा. रमेश कुमार और सचिव बासव राज ने अवार्ड से नवाजा।

उनकी पत्नी आशा पाल भी समाजिक कार्यों में आगे बढ़ कर हिस्सा लेती हैं। वह रोटरी व इन्नरव्हील क्लब से भी जुड़ी हैं। उनके बेटे डा. पंकज पाल भी बाल रोग माहिर हैं। वह भी आईएमए के प्रधान रहे हैं।

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