पठानकोट की रेणु के तराशे बेजान पत्थर भी करते हैं मूक संवाद, दीवारें कह उठती हैं वाह-वाह

पठानकोट की मूर्तिकार रेण कश्यप पंजाब ही नहीं बल्कि देश के कई प्रदेशों में अपने हुनर का लोहा मनवा चुकी हैं। हाल ही में उनकी पेंटिंग को बेल्जियम की आर्ट गैलरी में विश्व के सात बेहतरीन कलाकारों के साथ स्थान मिला है।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 05:52 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 05:52 PM (IST)
पठानकोट की रेणु के तराशे बेजान पत्थर भी करते हैं मूक संवाद, दीवारें कह उठती हैं वाह-वाह
शानदार भित्ति चित्र (वाल पेंटिंग) बनाती हईं पठानकोट की रेणु कश्यप।

विनोद कुमार, पठानकोट। रेणु कश्यप शिल्पकारी और चित्रकारी की दुनिया में एक ऐसा नाम है, जिसके तराशे हुए बेजान पत्थर भी मूक संवाद करने लगते हैं। वह जब सूनी दीवारों पर तस्वीर उकेरती हैं तो दीवारें भी वाह-वाह कर उठती हैं। शिल्प और भित्ति चित्र की सुमेल रेणु कश्यप ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर न केवल पठानकोट बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। पेंटिंग व मूर्ति बनाकर देश व विदेश में पठानकोट का नाम रोशन करने वाली रेणु कश्यप लमीनी की रहने वाली हैं। वे पंजाब ही नहीं बल्कि देश के कई प्रदेशों में अपने हुनर का लोहा मनवा चुकी हैं। पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडू, एनसीआर सहित गुजरात व उड़ीसा की ओर से विशेष तौर पर रेणु को सम्मानित किया जा चुका है। विगत दिनों बेल्जियम की आर्ट गैलरी में विश्व के सात बेहतरीन कलाकारों के साथ विजुअल आर्टिस्ट रेणु कश्यप की पेंटिंग को भी स्थान मिला है।

कोरोना काल में पेटिंग के जरिए लोगों को किया जागरूक

कोरोना काल के दौरान रेणु ने भी लोगों को जागरूक करने की जिला प्रशासन मुहिम में अहम योगदान दिया था। रेणु ने यहां शहर की सभी मुख्य सड़कों पर पेंटिंग के जरिए लोगों को कोरोना से किस तरह बचाव करना और सावधानियों के बारे में जागरुक किया था। इसके अलावा एसएसपी कार्यालय में भी पुलिस द्वारा कोरोना में की जा रही ड्यूटी व लोगों को शारीरिक दूरी रखने संबंधी अपनी पेंटिंग के जरिए अवगत करवाया था। इन दिनों काली माता मंदिर में रेणु पेटिंग के जरिए लोगों को स्वच्छता पर जागरूक कर रही हैं। इसे विधायक अमित विज सहित शहरवासी बड़ा सराह रहे हैं।

बचपन के सपने को दिया मूर्त रूप

रेणु कहती हैं कि उन्होंने शिल्पकारी और चित्रकारी का कहीं से कोई प्रशिक्षण नहीं लिया। उन्होंने मन की आंखों से देखे गए सपनों को दीवारों और निर्जीव पत्थरों पर आकार देकर बचपन में देखे गए सपनों को साकार किया। लेकिन, एकलव्य की तरह पद्मश्री अवार्ड से नवाजे गए जम्मू यूनिर्वसिटी के प्रोफेसर राजिंद्र तिक्कू को वह अपना आदर्श मानती हैं। रेणु का कहना है कि प्रोफेसर तिक्कू का उन्हें मुकाम तक पहुंचाने में अहम योगदान है। रेणु इस क्षेत्र की पहली मूर्तिकार मानी जा रही हैं जो पत्थरों को तराश कर मूर्तियां बनाती हैं। उनकी बनाई कलाकृतियों के देश के बड़े घरानों के अलावा फिल्मी हस्तियां भी कायल हैं। कई फिल्में सितारों व बड़े घरानों के घरों में उनके हाथों से बनाई गई कलाकृतियां लगी हुई हैं।

रेणु ने बताया कि उक्त सूची में उनके साथ बेल्जियम की न्यूयार्क आर्ट गैलरी (कटंपरेरी) में यूक्रेन, अमेरिका, इटली, स्लोवाकिया और बेल्जियम के कलाकारों की कलाकृतियों को भी इस आर्ट गैलरी में शामिल किया गया है। भारत से इकलौती रेणु को ही इस आर्ट गैलरी में केवल उन्हें ही स्थान मिला है।

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