Punjab New Cabinet: सबसे पहले कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले परगट बनेंगे मंत्री, सिद्धू से दोस्ती का मिला फल
पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की कैबिनेट में मंत्री पद के दावेदार जालंधर कैंट के विधायक परगट सिंह राजनीति में भी जब-जब वह हाशिये पर जाते दिखे उन्होंने जबरदस्त वापसी करके विरोधियों को चारों खाने चित कर दिया। वह पंजाज कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू के भी करीबी हैं।
जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। विधायक परगट सिंह राजनीति में आने से पहले हाकी के बेस्ट डिफेंडर रहे हैं। राजनीति में भी जब-जब वह हाशिये पर जाते दिखे, उन्होंने जबरदस्त वापसी करके विरोधियों को चारों खाने चित कर दिया। पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के साथ पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को पद से हटवाने में उन्होंने आगे बढ़कर काम किया। इसी का फल है कि वे नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी मंत्रिमंडल में नए मंत्रियों की लिस्ट में हैं।
वर्ष 2012 में वह राजनीति में कूदे और अकाली दल की टिकट पर जालंधर कैंट विधानसभा क्षेत्र से पहली ही बार में जीते। इसके बाद वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव से पहले जब वह पार्टी में मुश्किल में फंसते दिखे तो पाला बदलकर का हाथ थाम लिया। कांग्रेस की टिकट पर उन्होंने एक बार फिर कैंट से जीत हासिल की। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुखर विरोधी रहे परगट पिछले दिनों एक बार फिर हाशिये पर चले गए थे लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब कांग्रेस के प्रधान बनते ही वह फिर फ्रंट फुट पर आकर खेलने लगे। पंजाब कांग्रेस का महासचिव बनने के बाद उन्होंने आगे बढ़कर विधायकों और मंत्रियों को कैप्टन विरुद्ध लामबंद किया और आखिरकार उन्हें पद से हटवाने में सफल रहे। सिद्धू के करीबी होने के कारण यहीं से उनके मंत्री बनने की राह भी खुल गई।
सुखबीर बादल ने करवाई थी राजनीति में एंट्री
साल 2012 में परगट सिंह को अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल सियासत में लेकर आए थे। उस समय वह स्पोर्टस डायरेक्टर थे। पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने 2012 में जालंधर कैंट विधानसभा हलके से पहली बार विधानसभा चुनाव अकाली दल की टिकट पर जीता। 2016 में उन्होंने मंत्री न बनाए जाने को लेकर सुखबीर बादल व अकाली दल की नीतियों की आलोचना शुरू कर दी और भारतीय जनता पार्टी छोड़कर आए नवजोत सिंह सिद्धू के साथ आम आदमी पार्टी ज्वाइन करने की कवायद शुरू कर दी। उस समय पंजाब का माहौल आम आदमी पार्टी की सरकार वाला बन रहा था। आम आदमी पार्टी में बात नहीं बनी तो सिद्धू के साथ परगट ने कांग्रेस का रुख कर दिया। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले परगट ने सिद्धू के साथ कांग्रेस ज्वाइन की और कांग्रेस की टिकट पर कैंट से चुनाव लड़े और दोबारा विधायक बने। विधायक बनने के बाद परगट ने मंत्री बनने की मांग शुरू कर दी, लेकिन पूर्व मुख्यंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी। हालांकि सिद्धू को मंत्री बना दिया।
परगट ने ही सिद्धू के साथ मिलकर रचा कैप्टन को हटवाने का चक्रव्यूह
2018 में एक साल के इंतजार के बाद परगट ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर सियासी हमले शुरू कर दिए। इसके बाद सिद्धू को मंत्रिमंडल से हटा दिया गया तो परगट और सिद्धू फिर से करीब आ गए और परगट ने कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 2019 तक परगट कांग्रेस में कैप्टन के खिलाफ लामबंदी करने लगे। जब भी मौका मिला कांग्रेस हाईकमान से कैप्टन की कागुजारी की शिकायतें की। 2020 में परगट ने सिद्धू को साथ लेकर कैप्टन पर और तेज हमले शुरू कर दिए। 2017 विधानसबा चुनाव में कैप्टन द्वारा किए गए वायदों को पूरा न करने को लेकर उन्होंने कैप्टन को तमाम मौकों पर कटघरे में खड़ा किया। पर्दे के पीछे की राजनीति यही रही कि उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया था।
2021 में जैसे ही विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मियां तेज हुईं तो परगट के कैप्टन पर हमले और तेज कर दिए। परगट के घर पर कैप्टन विरोधी विधायकों की बैठकें शुरू हो गईं। 2021 में सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रधान बनाया गया तो परगट सिंह को एक सप्ताह के अंदर की सिद्धू ने अपनी टीम में शामिल करके महासचिव बनवा दिया।
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