बातों में मशगूल नर्सों का कारनामा, महिला की दोनों बाजुओं में लगा दिया कोरोना का टीका
पठानकोट के एक गांव में लगे वैक्सीनेशन कैंप में बड़ी लापरवाही सामने आई है। नर्सिंग स्टाफ बातों मेंं मशगूल था। इसी दौरान एक स्टाफ ने महिला की दाईं बाजू में और दूसरी ने बाईंं बाजू में टीका लगा दिया। इससे उसकी हालत बिगड़ गई।
जागरण संवाददाता, पठानकोट। पंजाब के पठानकोट जिले में स्थित गांव बधानी के कम्युनिटी हेल्थ सेंटर में कोविड वैक्सीनेशन के लिए कैंप लगा हुआ था। लेकिन, इस दौरान बड़ी लापरवाही सामने आई है। बताया जा रहा है कि कैंप में नर्सिंग स्टाफ बातचीत में मशगूल रहा। इसी दौरान एक महिला को टीका लगाते वक्त एक नर्सिंग स्टाफ ने उसकी दाईं बाजू में टीका लगा दिया, जबकि दूसरी ने बाईं बाजू में टीका लगा दिया। नर्सिंग स्टाफ बातों में इस कदर मशगूल था कि उन्हें इसका पता भी नहीं चला। इसी दौरान महिला की तबीयत बिगड़ गई, जिस पर स्टाफ को गलती का अहसास हुआ।
महिला की हालत बिगड़ते ही मौके पर मौजूद सेहत विभाग के कर्मचारियों ने उसे करीब तीन घंटा अपनी निगरानी में रखा और हालत ठीक होने पर उसे घर भेजा। कैंप में बड़ी संख्या में लोग वैक्सीनेशन के लिए पहुंचेे थे। 35 वर्षीय शिखा भी कैंप में वैक्सीनेशन के लिए आई थी। स्टाफ ने उसे वैक्सीन लगवाने के लिए सीट पर बुलाया। वह जाकर बैठ गई। इस दौरान नर्सिंग स्टाफ में कार्यरत कर्मचारी आपस में बातें करने में मशगूल थे।
शिखा के पति अश्विनी कुमार ने कहा कि उसकी पत्नी को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगनी थी। नर्सिंग स्टाफ ने शिखा के दाईं बाजू में कोविशील्ड का टीका लगा दिया, वहीं दूसरी स्टाफ ने बाईं बाजू में टीका लगा दिया। इससे शिखा की हालत बिगड़ गई। दोनों बाजुओं में टीका लगने से शिखा की हालत बिगड़ने लगी। उसे घबराहट होने लगी। बात का पता चलते ही मौके पर मौजूद स्टाफ ने शिखा देवी को अपनी निगरानी में ले लिया। करीब तीन घंटा बाद उसे होश आने पर घर भेजा गया।
एसएमओ बोले- लिखित स्पष्टीकरण मांगा है
उधर, सीएचसी बधानी की एसएमओ डाक्टर सुनीता शर्मा से जब इस मसले पर बात की तो उनका कहना था कि कैंप में भीड़ ज्यादा होने के कारण कांट्रेक्ट पर रखी बीएससी नर्सिंस स्टाफ को इसका पता नहीं चला और महिला को दोनों डोज लगा दी। कहा कि बीएससी नर्सिंग स्टाफ की इस लापरवाही को लेकर लिखित स्पष्टीकरण मांगा गया है।
इससे जीवन को खतरा नहीं
इस संबंध में पंजाब स्वास्थ्य विभाग के नोडल अफसर डॉ. राजेश भास्कर का कहना है कि ऐसा होने पर व्यक्ति के जीवन को कोई खतरा नहीं है। उसे कुछ घंटे आब्जर्वेशन में रखा जाएगा। समस्या के अनुसार उपचार किया जाएगा। बाद में भी व्यक्ति की निगरानी रखने की जरूरत है।
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