बिजली शवदाह गृह में होगा संक्रमित शवों का संस्कार
कोरोना के कारण बढ़ रही मौतों के मद्देनजर सरकार ने फैसला लिया कि सभी संक्रमित शवों के अंतिम संस्कार के लिए बिजली चालित शवदाह गृह स्थापित किया जाएगा।
जगजीत सिंह सुशांत, जालंधर
कोरोना के कारण बढ़ रही मौतों के मद्देनजर सरकार ने फैसला लिया कि सभी संक्रमित शवों के अंतिम संस्कार के लिए बिजली चालित शवदाह गृह स्थापित किया जाएगा। संक्रमित शवों के लिए एक ही सेंटर होगा और प्रशासन संस्कार के लिए बिजली शवदाह गृह का ही इस्तेमाल करेगा। जालंधर में बीएसएफ चौक के पास लाडोवली-गुरु नानकपुरा रोड स्थित अमरबाग श्मशानभूमि में इसके लिए इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम स्थापित किया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री रिलीफ फंड से 80 लाख रुपये की ग्रांट नगर निगम को मिल गई है।
इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम के लिए निगम ने काम अलाट कर दिया है। दो-तीन दिन में इस पर काम शुरू हो जाएगा। इस समय जिला प्रशासन हरनामदासपुरा के श्मशानघाट में अधिकांश संक्रमित शवों का दाह संस्कार कर रहा है। वायरस के कारण मौतों की गिनती बढ़ रही है और कई परिवार अस्पतालों से शव लेने से भी मना कर रहे हैं, ऐसे में जिला प्रशासन ही इन शवों का संस्कार कर रहा है।
शहर के अधिकांश श्मशानघाट आबादी वाले इलाकों में हैं और इन श्मशानघाटों में अंतिम संस्कार करने से संक्रमण फैलने का खतरा भी रहेगा इसलिए नगर निगम ने इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम स्थापित करने के लिए शहर के सभी श्मशानघाट का सर्वे किया था। सर्वे के बाद तय किया गया है कि बीएसएफ चौक के पास स्थित अमरबाग श्मशान भूमि में इलेक्ट्रिक मशीन लगाई जाएगी। अमर बाग श्मशान भूमि आबादी से हटके है और यहां पर पार्किंग की व्यवस्था भी काफी है। अमरबाग श्मशानघाट जालंधर सेंट्रल हलके में है और यहां इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम के लिए विधायक राजिदर बेरी और मेयर जगदीश राजा ने सहमति दे दी है। नगर निगम एसई रजनीश डोगरा ने कहा कि मशीन और सिविल वर्क का काम अलाट हो चुका है। एक महीने में ही पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 45 मिनट में पूरा होगा एक शव का अंतिम संस्कार
बिजली शवदाह गृह में एक शव के अंतिम संस्कार में करीब 45 मिनट का समय लगेगा। एक ही मशीन से प्रशासन सभी शवों को बारी-बारी से संस्कार करेगी। यह मशीन करीब 40 लाख रुपये की बताई जा रही है। 80 लाख रुपये में से सिविल वर्क के तहत शेड बनाने, बेसवर्क व अन्य काम होंगे। बिजली सप्लाई में आने वाले व्यवधान को देखते हुए मशीन को जेनरेटर से चलाने का इंतजाम भी रहेगा। जेनरेटर भी खरीदा जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण के लिए भी जरूरी है इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम
संस्कार के लिए इस समय पारंपरिक तरीके के तहत लकड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके लिए बड़ी मात्रा में लकड़ी के इस्तेमाल से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। एक शव के संस्कार में करीब 5 से 6 क्विंटल लकड़ी इस्तेमाल हो जाती है। संस्कार की गिनती बढ़ने के कारण श्मशानघाटों में लकड़ी की भी खपत काफी ज्यादा बढ़ चुकी है और लकड़ी की किल्लत भी सामने आ रही है। इलेक्ट्रिक क्रिमेटोरियम से लकड़ी भी बचेगी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।