मरीजों के संपर्क में आए लोगों के नहीं हो रहे सैंपल, कैसे टूटेगा कोरोना का चक्रव्यूह?

कोरोना के मरीज लगातार बढ़ने का एक बड़ा कारण सामने आया है। सेहत विभाग संक्रमित आने वाले मरीजों की चैन को ही नहीं तलाश कर पा रहा जिससे उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Apr 2021 06:01 AM (IST) Updated:Wed, 28 Apr 2021 06:01 AM (IST)
मरीजों के संपर्क में आए लोगों के नहीं हो रहे सैंपल, कैसे टूटेगा कोरोना का चक्रव्यूह?
मरीजों के संपर्क में आए लोगों के नहीं हो रहे सैंपल, कैसे टूटेगा कोरोना का चक्रव्यूह?

जागरण संवाददाता, जालंधर : कोरोना के मरीज लगातार बढ़ने का एक बड़ा कारण सामने आया है। सेहत विभाग संक्रमित आने वाले मरीजों की चैन को ही नहीं तलाश कर पा रहा जिससे उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक एक संक्रमित मरीज के संपर्क में आने वाले 30 लोगों के सैंपल लेकर उनकी जांच करने की हिदायत है ताकि कोरोना के फैलाव को रोका जा सके। पर सेहत विभाग इससे आधी संख्या में मरीजों को भी ट्रेस नहीं कर रहा और न ही सभी के सैंपल लिए जा रहे। सेहत विभाग के आंकड़ों के अनुसार ही मरीजों के संपर्क में आने वाले 70 फीसदी लोगों के सैंपल नहीं हुए। उसी कारण उनमें से कुछ कोरोना पाजिटिव होकर बाजारों में घूम रहे है और तंदुरुस्त लोगों के लिए खतरे की घंटी बन रहे है।

पिछले दस दिन में आए संक्रमित केसों को स्टडी करें तो 4631 लोग पाजिटिव पाए गए। इनकी संख्या के मुताबिक दस दिन में 1.38 लाख टेस्ट होने थे जबकि प्रशासन 58 हजार 796 टेस्ट ही कर पाया। इन 58 हजार टेस्टों में भी बड़ी संख्या में वे लोग हैं जिन्होंने या तो नाकों पर जाकर टेस्ट करवाया या वे खुद टेस्ट करवाने पहुंचे अथवा किसी संक्रमित का 14 दिन का पीरियड पूरा होने के बाद दूसरी बार टेस्ट किया गया।

उधर सेहत विभाग का दावा है कि 80 फीसदी लोगों के सैंपल लेकर जांच की जा रही है लेकिन इतनी कम संख्या में हो रही टेस्टिंग उनके दावों की पोल खोल रही है। सेहत विभाग के अनुसार उन्होंने सपंर्क में आने वाले लोगों की सूची बनाने के लिए 20 लोगों की टीम तैनात की है जो मरीजों के संपर्क में रहती है। उनके अनुसार 15 फीसदी मरीज ऐसे होते है जिनके नंबर गलत होते है या वे सहयोग नहीं करते या फिर नंबर बंद आता है लेकिन संपर्क में आए कितने लोगों ने सैंपल दिए, उनकी कोई सूची सेहत विभाग के पास नहीं। डिटेल तो ली जाती है लेकिन सैंपल नहीं

न्यू रतन नगर में पिछले सप्ताह एक मरीज पाजिटिव आया। सेहत विभाग की टीम ने संपर्क कर पूरा विवरण लिया। मरीज ने संपर्क में आने वाले लोगों के फोन नंबर टीम को दिए। इनमें माडल टाउन में रहने वाला मरीज का बोस भी शामिल है। मरीज के अनुसार घरवालों की डिटेल तो ली लेकिन सैंपल लेने के लिए उनसे किसी ने संपर्क नहीं किया। उनके बोस को भी किसी का फोन नहीं आया।

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सब सहेलियों से पूछा-किसी को फोन नहीं आया

बस्ती दानिशमंदा में रहने वाली महिला के पाजिटिव आने पर सेहत विभाग की टीम ने संपर्क किया और उनके संपर्क में आने वाले लोगों के बारे में जानकारी हासिल की। महिला का कहना है कि तीन दिन बाद सेहत विभाग से ही दोबारा फोन आया पूछा कि आपके संपर्क में आने वाली सहेलियों ने क्या टेस्ट करवा लिए है। इस पर महिला ने जवाब दिया कि किसी भी सैंपल लेने वाली टीम या सहेली ने उससे इस बारे में संपर्क नहीं किया। जब उन्होंने सभी को फोन किया तो किसी के पास फोन ही नहीं आया। -------

नोडल अफसर का दावा-80 फीसद के सैंपल हो रहे

सैंपलिंग करने वाली टीम की नोडल अफसर व सहायक सिविल सर्जन डा. वरिदर कौर का कहना है कि 80 फीसदी के करीब लोगों के सैंपल लिए जा रहे है। ज्यादातर एक ही परिवार के दो-तीन लोग पाजिटिव आ रहे है तो उनके संपर्क में आने वाले लोग भी कामन होते है इसलिए संपर्क में आने वाले लोगों की संख्या कम हो जाती है।

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