वरियाणा डंप पर न बाउंड्री वॉल और न गंदे पानी की निकासी, एनजीटी ने ठोका 35 लाख जुर्माना

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों का पालन नहीं करने पर नगर निगम जालंधर को हर महीने लाखों रुपये जुर्माना पड़ रहा है। अप्रैल से लेकर अब तक 35 लाख रुपये जुर्माना लग चुका है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 07:57 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 07:57 AM (IST)
वरियाणा डंप पर न बाउंड्री वॉल और न गंदे पानी की निकासी, एनजीटी ने ठोका 35 लाख जुर्माना
वरियाणा डंप पर न बाउंड्री वॉल और न गंदे पानी की निकासी, एनजीटी ने ठोका 35 लाख जुर्माना

जगजीत सिंह सुशांत, जालंधर

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों का पालन नहीं करने पर नगर निगम जालंधर को हर महीने लाखों रुपये जुर्माना पड़ रहा है। अप्रैल से लेकर अब तक 35 लाख रुपये जुर्माना लग चुका है। वरियाणा डंप पर बाउंड्री वाल, पानी की निकासी और बायो माइनिग प्लांट पर काम नहीं होने की वजह से यह जुर्माना लग रहा है। ट्रिब्यूनल ने निगम को आदेश दिया था कि अप्रैल से पहले वरियाणा डंप की बाउंड्री वॉल कर ली जाए। डंप से गंदे पानी की निकासी का इंतजाम भी होना चाहिए लेकिन नगर निगम सात महीने बाद भी इस पर काम नहीं कर पाया।

वेस्ट मैनेजमेंट और ड्रेन में गंदा पानी फेंकने पर भी एनजीटी का रुख सख्त है। ट्रिब्यूनल की मानिटरिंग कमेटी के सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल इसे लेकर लगातार सक्रिय रहे हैं। संत सीचेवाल ने खुद भी मौके का मुआयना किया था और एनजीटी से आदेश जारी करवाए थे। वरियाणा डंप पर बाउंड्री वॉल और सीवरेज सिस्टम के लिए टेंडर लगाया गया है लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हो पा रहा है। डंप पर अब तक करीब आठ लाख मीट्रिक टन कूड़ा इकट्ठा हो चुका है। इसे खत्म करने के लिए बायोमाइनिग प्रोजेक्ट का टेंडर जारी कर दिया है लेकिन अभी काम शुरू होने में दो से तीन महीने लग जाएंगे। नगर निगम जालंधर पर एक बार पहले भी 25 लाख रुपये जुर्माना लगाया जा चुका है। सरकार पर लग चुका है 50 करोड़ का जुर्माना

पर्यावरण संरक्षण को लेकर एनजीटी काफी सख्त है। एक बार पहले भी पंजाब सरकार पर 50 करोड़ रुपये जुर्माना लगा चुकी है। इस जुर्माने में नगर निगम जालंधर भी हिस्सेदार था। अब भी नगर निगम को जुर्माना देना होगा क्योंकि जो आदेश दिए गए थे वह पूरे न होने पर हर महीने 5 लाख रुपये जुर्माना देना तय है।

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डंप इसलिए खतरनाक

-वरियाणा डंप 14 एकड़ में फैला है। यहां पर कूड़ा इतना ज्यादा हो गया है कि आसपास में किसानों की जमीन को भी प्रदूषित कर रहा है।

-डंप के कारण आसपास की कालोनियों-गांवों के एक लाख से भी ज्यादा लोगों को प्रदूषित वातावरण में रहना पड़ रहा है। बड़ी गिनती में लागे बीमार हो रहे हैं।

-डंप के कूड़े का पानी रिस कर जमीन में जा रहा है जिससे भूजल भी प्रदूषित हो चुका है। निगम ने पिछले सालों में जो सर्वे करवाए हैं उसमें भी भूजल जहरीला मिला है।

-आसपास के इलाके के लोगों को पानी के लिए शहर के दूसरे इलाकों के मुकाबले काफी गहराई तक ट्यूबवेल लगाना पड़ता है। --------

आखिर कहां जाता है जुर्माने का पैसा

ट्रिब्यूनल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले उन संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है जो पर्यावरण रोकने में असफल हो रहे हैं या इसमें देरी कर रहे हैं। उन पर भारी भरकम जुर्माना लगाया जाता है। ट्रिब्यूनल जो भी जुर्माना लगाता है वह पर्यावरण संरक्षण पर ही खर्च होता है। इससे सरकार के खजाने में जमा नहीं करवाया जाता और न ही किसी को वेतन इत्यादि दिया जाता है। -------------

लापरवाही की हद.एडहाक कमेटी बार-बार उठा रही मसला, कोई नहीं सुनता

नगर निगम की हेल्थ एंड सेनिटेशन एडहाक कमेटी भी वरियाणा डंप पर सुधार के लिए बार-बार मामला उठा रही है। पिछले सप्ताह कमेटी के चेयरमैन बलराज ठाकुर, मेंबर जगदीश समराए व अन्य ने ज्वाइंट कमिश्नर अनीता दर्शी के साथ मीटिग करके वरियाणा डंप का मामला उठाया था। बलराज ठाकुर ने कहा कि निगम प्रशासन पर इन सभी कामों को करने के लिए दबाव बना रहे हैं। डंप पर सड़क बनाना भी जरूरी है क्योंकि तभी शहर का कूड़ा डंप तक जा पाएगा। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही मेयर जगदीश राजा से इस पर मीटिग करेंगे। डंप पर सड़क बनाने के लिए कुछ दिनों तक डंप पर कूड़ा फेंकने से रोकना होगा। पार्षद समराए भी इस मुददे पर काम कर रहे हैं क्योंकि वरियाणा डंप उनके वार्ड क्षेत्र से सटा है और लोग इसकी मार झेल रहे हैं।

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