'आखिरी उम्मीद' ने फिर बढ़ाया मदद को हाथ, थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों के लिए किया रक्तदान

थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों को बच्चों को बार-बार खून चढ़ाने के जरूरत पड़ती है। कोरोना काल में ब्लड डोनर्स की कमी के कारण उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा खतरे में पड़ गई थी।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 05:54 PM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 05:54 PM (IST)
'आखिरी उम्मीद' ने फिर बढ़ाया मदद को हाथ, थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों के लिए किया रक्तदान
'आखिरी उम्मीद' ने फिर बढ़ाया मदद को हाथ, थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों के लिए किया रक्तदान

जालंधर, जेएनएन। आखिरी उम्मीद वेलफेयर सोसायटी ने एक बार फिर थैलेसिमिया से ग्रस्त बच्चों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है। रविवार को सोसायटी ने बच्चों की खून की मांग को पूरा करने के लिए रक्तदान कैंप का आयोजन किया। इसमें मेयर जगदीश राज राजा, विधायक सुशील रिंकू और विधायक राजिंदर बेरी ने विशेष रूप से शिरकत की। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन और कर्फ्यू के कारण खूनदान करने वालों की संख्या में कमी आई है। इससे थैलेसिमिया से जूझ रहे बच्चों को खून चढ़ाने में परेशानी पेश आ रही है। ऐसे में आखिरी उम्मीद सोसायटी का यह प्रयास बहुत सराहनीय है। इससे बच्चों स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में बहुत मदद मिलेगी।

सरकारी हाई स्कूल रैनक बाजार के प्रांगण में लगे कैंप के दौरान गंगा आर्थो अस्पताल की टीम ने 189 यूनिट खून एकत्र किया। इस मौके पर सोसायटी की ओर से खूनदान वाले दानियों और अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर प्रधान जतिंदर पाल सिंह भाटिया, भूपिंदर सिंह, रमेश कुमार, कुलदीप सिंह, दलेर सिंह, जगजीत सिंह, गगनजोत सिंह, हरप्रीत सिंह, गुरप्रीत सिंह के अलावा सोसायटी के अन्य सदस्य व पदाधिकारियों के अलावा इलाका निवासी मौजूद थे।

थैलेसीमिया रोग में बार-बार चढ़ाना पड़ता है खून

थैलेसीमिया खून से जुड़ा रोग है जो बच्चों को उनके माता-पिता से अनुवांशिक तौर पर मिलता है। इसमें शरीर की हीमोग्लोबिन निर्माण प्रक्रिया में गड़बड़ी हो जाती है। इससे शरीर में खून की कमी हो जाती है और रोगी को बार-बार खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है।

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