नवजोत सिद्धू की हुंकार, पंजाब मेरे साथ... अमृतसर में चर्चाएं- पहले शहर को तो साथ ले लें

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ चल रहे सियासी द्वंद में सिद्धू हुंकार भरते आ रहे हैं कि पंजाबी उनके साथ हैैं पर अमृतसर की सियासत में विपक्षी ही नहीं कांग्रेस खेमा कह रहा है कि सिद्धू पहले शहर को तो साथ ले लें पंजाब की बात बाद में करें।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 08:48 AM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 01:54 PM (IST)
नवजोत सिद्धू की हुंकार, पंजाब मेरे साथ... अमृतसर में चर्चाएं- पहले शहर को तो साथ ले लें
विधायक नवजोत सिंह सिद्धू और उनका कुनबा अकसर सुर्खियों में रहा है।

अमृतसर, [विपिन कुमार राणा]। पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू हमेशा पंजाब की बात करते हैं। पर विरोधी ही नहीं बल्कि अपने भी सवाल खड़े करते रहे हैं कि उन्हें पंजाब का दर्द चुनाव के आसपास ही क्यों दिखता है। लगभग दो साल से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ चल रहे सियासी द्वंद में सिद्धू हुंकार भरते आ रहे हैं कि पंजाबी उनके साथ हैैं, पर अमृतसर की सियासत में चर्चाएं अलग हैं। विपक्षी ही नहीं कांग्रेस खेमा कह रहा है कि सिद्धू पहले शहर को तो साथ ले लें, पंजाब की बात बाद में करें। यही नहीं सिद्धू के वीडियो न तो उनके अपने और न ही स्थानीय पार्षद इंटरनेट मीडिया पर शेयर कर रहे। उल्टा हो यह रहा है कि शहर के कांग्रेस नेता और वर्कर उनसे दूरी बनाए हुए हैं। कांग्रेस कमेटी शहरी की प्रधान ने तो पिछले दिनों वीडियो जारी कर कह दिया कि एह पंजाब दा कैप्टन ए।

मलाई खाई तो फिर दर्द कैसा

विधायक नवजोत सिंह सिद्धू और उनका कुनबा अकसर सुर्खियों में रहा है। फिर चाहे वह जोड़ा फाटक रेल हादसे का मामला हो या फिर उनके करीबी के किसी विवाद का। सिद्धू के कैबिनेट मंत्री के कार्यकाल में हुई अनियमितताओं की विजिलेंस जांच तेज होने के बाद इसमें आए दो लोग तो भूमिगत हो गए हैं। अब कांग्रेस ही नहीं बल्कि सिद्धू के कुनबे में भी चर्चा बनी हुई है कि जब मलाई खाई है तो फिर दर्द कैसा। समय-समय पर ये मामले उठे रहे हैैं और अखबारों की सुर्खियां बनते रहे, पर तब न तो सिद्धू परिवार और न ही उनके करीबियों ने इस पर ध्यान दिया। अब जब विजिलेंस ने रिकार्ड के साथ शिकंजा कस दिया है तो हो-हल्ला मचाया जा रहा है। इसमें जिन पीए के नाम आए हैं, उनकी फर्म और बूथों को नगर सुधार ट्रस्ट भी स्पष्ट कर चुकी थी कि यह नियमों के विपरीत है।

नेता के करीबी का छलका दर्द

चाहे अभी प्रदेश में विधानसभा चुनाव में कुछ समय बचा है, पर कांग्रेस के त्रस्त वर्करों ने अभी से इंटरनेट मीडिया पर अपनों पर ही कटाक्ष करने शुरू कर दिए हैं। शहर के एक अहम पद पर आसीन नेता के करीबी तो आजकल उनसे खासे क्षुब्ध चल रहे हैं। कुछ उनके मुंह पर उन्हें जवाब दे आए हैं तो कुछ ने इंटरनेट मीडिया पर अपनी भड़ास निकालनी शुरू कर दी है। एक करीबी ने पिछले दिनों इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट डालते लिखा, 'अमृतसर दा इक लीडर ए, जो गल्लां ता वड्डीयां करदा ए, सुख वेले भज के आंदा ए, दुख वेले मौके तों भज्ज जांदा ए, मुंह दी  लैहर बैह तो हत्थां दी हड़ताल, दस्सो कौन। जैसे ही जनाब ने इसे पोस्ट किया तो बाकी वर्करों का भी दर्द छलक उठा और उनकी हां में हां मिलाते हुए कांग्रेस वर्करों के हालात पर इंटरनेट मीडिया पर टोंटबाजी शुरू हो गई।

दिल्ली बात हो गई, टिकट पक्की है

शहर के विधानसभा हलका उत्तरी के एक नेता हैं। वैसे तो वह सभी पार्टियों की परिक्रमा कर चुके हैं, पर किसी ने भी उन्हें पार्षद तक का टिकट देना मुनासिब नहीं समझा। अब जनाब एक नई पार्टी के साथ जुड़े हैं। अब तो उनके करीबी कहने भी लगे हैं कि जिस पार्टी में नेताजी गए हैं, दिल्ली में उनके आला नेताओं से बात हो गई है, टिकट अपना ही है। टिकट मिला तो जीत भी अपनी झोली में ही है। खास बात यह है कि नेताजी के साथ जो लोग जुड़े हैं, ये वो नेता और वर्कर हैं, जो दूसरी पार्टियों से निकाले हुए हैं। जनाब की चाहे अभी टिकट फाइनल नहीं हुई है, पर उन्होंने तैयारी करते हुए हलके में दो जगहों पर अपने आफिस खोल दिए हैैं, ताकि लोगों से अभी से राबता बनाया जा सके और आने वाले चुनाव में इस तैयारी का फायदा लिया जा सके।

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