नरेंद्र चंचल को प्रिय थे जालंधर के ​​​​​लेखक बलबीर निर्दोष के लिखे भजन, आखिर तक संपर्क में रहे दोनों

भजन गायक नरेंद्र चंचल ने अपने जीवन अधिकतर भजन जालंधर के लेखक बलबीर निर्दोष के लिखे गाए थे। अधिकतर बड़े मंचों पर वह बलबीर निर्दोष का जिक्र जरूर करते। वर्ष 1970 से शुरू हुआ उनका संपर्क फरवरी 2020 तक बना रहा।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 08:48 PM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 08:48 PM (IST)
नरेंद्र चंचल को प्रिय थे जालंधर के ​​​​​लेखक बलबीर निर्दोष के लिखे भजन, आखिर तक संपर्क में रहे दोनों
जालंधर में एक कार्यक्रम के दौरान लेखक बलवीर निर्दोष के साथ नरेंद्र चंचल। फाइल फोटो

जालंधर, [शाम सहगल]। प्रसिद्ध भजन गायक नरेंद्र चंचल ने अपने जीवन में 80 प्रतिशत भजन जालंधर के धार्मिक लेखक बलबीर निर्दोष के लिखे गाए थे। बलबीर निर्दोष के करीबी रहे यादव खोसला बताते हैं कि वर्ष 1970 से लेकर फरवरी, 2020 तक नरेंद्र चंचल बलबीर निर्दोष के संपर्क में रहे। यहां तक की अधिकतर बड़े मंचों पर वह बलबीर निर्दोष का जिक्र जरूर करते। 10 जून, 2011 को पहली बार मां त्रिपुरमालिनी धाम पहुंचने पर चंचल ने कहा था कि यहां पर आकर उनका जीवन संवर गया है।

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बलबीर निर्दोष के लिखे और नरेंद्र चंचल के गाए ये भजन खूब प्रसिद्ध हुए।

- मां दिए मूर्तिए हंस के मेरे नाल बोल

- तेरी मूर्ति नहीं बोलदी बुलाया लख वार

- मां ने आप बुलाया ए, हुण मौजा ही मौजा

- शेर ते सवार हो के किधल चली ए, पहले दुख गरीबां दे टाल दे

- झोली ए गरीबां दी भरी ना भरी, माए साडे क्रयार उते शक ना करीं

जालंधर में लेखक बलवीर निर्दोष के साथ भजन गायक नरेंद्र चंचल।

भजन गायकी के एक युग का अंत : सलीम

बालीवुड गायक मास्टर सलीम बताते है कि नरेंद्र चंचल के निधन से भजन गायकी के एक युग का अंत हो गया है। उन्होंने कहा कि धार्मिक गायकी को जो दिशा उन्होंने दी है, उसे सदियों तक लोग याद रखेंगे। भले ही वह शारीरिक तौर पर दुनियां में नहीं रहे लेकिन भक्तों के दिलों में सदैव अमर रहेंगे।

अपने आप में संस्था थे चंचल

श्री देवी तालाब मंदिर प्रबंधक कमेटी के महासचिव राजेश विज बताते है कि नरेंद्र चंचल अपने आप में संस्था थे। केवल भजन गायक ही नहीं बल्कि जरूरतमंदों की सेवा के लिए भी वह सदैव तैयार रहते थे। उनके निधन से धार्मिक ही नहीं बल्कि सामाजिक क्षेत्र में भी कभी पूरी ना होने वाली क्षति हुई है।

कोरोना पर भी गाया था भजन

कोरोना काल में जब लोग भयभीत होकर घरों में दुबक गए थे। उस दौर में भी नरेंद्र चंचल ने कोरोना पर आधारित भजन गाकर लोगों को संभलने का आह्वान किया था। 'किठथों आया कोरोना' के बोल के साथ ही उन्होंने मां के भक्तों को मां के दरबार जाने का भी आह्वान किया था।

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