42 लाख खर्च कर नगर निगम पढ़ाएगा स्वच्छता का पाठ
स्वच्छता सर्वेक्षण 2017-18 में बुरी तरह पिछड़ने के बाद नगर निगम प्रशासन ने अगले साल रेटिंग बढ़ाने के लिए अभी से कमर कस ली है।
जागरण संवाददाता, जालंधर : स्वच्छता सर्वेक्षण 2017-18 में बुरी तरह पिछड़ने के बाद नगर निगम प्रशासन ने अगले साल रेटिंग बढ़ाने के लिए अभी से कमर कस ली है। स्वच्छता सर्वेक्षण 4 से 21 जनवरी तक चलेगा। 28 सितंबर को होने वाली जनरल हाउस की बैठक में निगम प्रशासन की ओर से स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत लोगों को जागरूक करने और स्वच्छता का पाठ पढ़ाने के लिए 42,32,000 रुपये खर्च करने का प्रस्ताव तैयार किया है। हेल्थ अफसर और ज्वाइंट कमिश्नर की ओर से तैयार किए गए इस प्रस्ताव को कमिश्नर की मंजूरी मिलने के बाद इसे हाउस की मंजूरी दिलाने के लिए एजेंडा में प्रस्ताव संख्या 162 के तहत शामिल किया गया है। इसमें बताया गया कि स्वच्छता सर्वेक्षण देश भर के प्रमुख शहरों में चलेगा और इस पर होने वाला खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी।
निगम प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक स्वच्छता सर्वेक्षण के तहत कराई जाने वाली हर गतिविधि पर छह लाख 40 हजार रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा दस लाख रुपये से पें¨टग कराई जाएगी। वहीं, विभिन्न एफएम और समाचार पत्रों के माध्यमों से लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने को सात लाख रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है। निगम प्रशासन की ओर से तैयार किए गए प्रस्ताव के तहत अंतर स्कूल प्रतियोगिताएं कराने पर भी 38 हजार रुपये खर्च किए जाने हैं।
8,25,000 रुपये से खरीदी जागरूकता सामग्री
- 4 से 21 जनवरी तक चलेगा स्वच्छता सर्वेक्षण 2019
- 2 लाख रुपये से खरीदे जाएंगे 20 हजार बैज
- 1 लाख रुपये की लागत से खरीदी जाएंगे दो हजार कैप
- 5 लाख रुपये की लागत से पांच हजार जूट बैग खरीदे जाएंगे
- 5 पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम 25 हजार रुपये में खरीदे जाएंगे साइकिल रैली पर खर्च होंगे 10,20,000
-2 लाख रुपये टेंट, स्टेज और साउंड पर खर्च होंगे
-2 लाख रुपये से चार हजार लोगों को रिफ्रेशमेंट
-20 हजार बैकड्रॉप पर खर्च
-3000 टी-शर्ट छह लाख रुपये की अंतर कालेज प्रतियोगितायों पर खर्च होंगे 8,10,000
- टेंट, स्टेज और साउंड पर खर्च होंगे एक लाख रुपये
- पुरस्कार देने पर खर्च होंगे पांच लाख रुपये
- रिफ्रेशमेंट पर 60 हजार रुपये खर्च करने का प्रस्ताव
- पेंट कराने पर डेढ़ लाख रुपये होंगे खर्च वार्डों में जागरूकता पर खर्च होंगे 99 हजार
- बैकड्राप पर 16 हजार रुपये खर्च होंगे
- बैनरों पर आठ हजार रुपये खर्च होंगे
- एक लाख पंफ्लेट पर 50 हजार रुपये होंगे खर्च
- ब्रोशरों पर 25 हजार रुपये खर्च होंगे