मोगा में मरीज की मौत के बाद प्रदर्शन, आक्सीजन सिलेंडर की गाड़ी रोकने से अटकी रही 20 नवजात शिशुओं की जान

मोगा सिविल अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद स्वजनों ने हंगामा कर दिया। उन्होंने निनोनेटल विभाग में भर्ती 20 नवजात शिशुओं के लिए आक्सीजन लेकर पहुंची गाड़ी को भी प्रर्दशनकारियों ने गेट पर ही रोक दिया।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 05:34 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 05:34 PM (IST)
मोगा में मरीज की मौत के बाद प्रदर्शन, आक्सीजन सिलेंडर की गाड़ी रोकने से अटकी रही 20 नवजात शिशुओं की जान
मोगा के सिविल अस्पताल के बाहर फंसी आक्सीजन सिलेंडर की गाड़ी। जागरण

राजकुमार राजू, मोगा। मथुरादास सिविल अस्पताल में एक मरीज की मौत के बाद प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ सात घंटे तक सभी के लिए अस्पताल के दरवाजे बंद कर दिए बल्कि हादसे में घायल को लेकर आई एंबुलेंस को भी अंदर नहीं जाने दिया। रात में मथुरादास सिविल अस्पताल में निनोनेटल विभाग में भर्ती 20 नवजात शिशुओं के लिए आक्सीजन लेकर पहुंची गाड़ी को भी प्रर्दशनकारियों ने गेट पर ही रोक दिया। विभाग में आक्सीजन सीमित मात्रा में रह गई थी, ऐसे में अंदर बच्चों की जिंदगी खतरे में पड़ी रही। एसएमओ डा.सुखप्रीत सिंह व अन्य स्टाफ बच्चों की जिंदगी की दुहाई देते रहे। करीब 45 मिनट तक भारी जद्दोजहद के बाद प्रदर्शनकारियों ने आक्सीजन से भरी गाड़ी को अस्पताल के अंदर जाने दिया।

तीन मरीजों का रात में आपरेशन होना था लेकिन प्रदर्शनकारियों ने आपरेशन के लिए पहुंचे डा.साहिल को भी अंदर जाने से रोक दिया। आधा घंटे तक वे दलीलें देते रहे लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उनकी एक नहीं सुनी, आखिर में हारकर डा.साहिल पैदल ही किसी तरह अस्पताल के पिचले रास्ते से अंदर पहुंचे तब मरीजों का आपरेशन हो सका।

इस बीच शाम को चार बजे सिविल अस्पताल में शुरू हुआ धरना रात को 11 बजे एसडीएम सतवंत ङ्क्षसह के आश्वासन के बाद धरना समाप्त हुआ। एसडीएम के आश्वासन के बाद रविवार को तीन डाक्टरों के बोर्ड ने मृतक मरीज का पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिया। मामले की जांच के लिए भी कमेटी गठित कर दी है।

मरीज की मौत के बाद भड़के स्वजन

गांव खोसा रणधीर निवासी 30 वर्षीय व्यक्ति रंजीत सिंह को शनिवार को सुबह उसके स्वजन सिविल अस्पताल लेकर आए थे। यहां एमडी डाक्टर टेस्ट करावाने के बाद उसे मेडिकल कालेज रेफर कर दिया था। चिकित्सक के अनुसार मरीज के कई अंग काम करना बंद कर चुके थे। स्वजन मरीज को मेडिकल कालेज ले जाने के बजाय

उसे पहले तो अस्पताल में ही बैठे रहे, बाद में ज्यादा हालत बिगड़ने पर उसे इमरजेंसी में ले गए जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजनों का आरोप था कि सिविल अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में तैनात किसी भी स्टाफ ने उनके मरीज की गंभीरता से जांच नहीं की गई जिसके कारण हुई लापरवाही के चलते मरीज की मौत हुई है। इसी मामले को लेकर शाम चार बजे से प्रदर्शनकारियों ने पहले इमरजेंसी का घेराव किया, बाद में अस्पताल के मेन गेट पर धरना शुरू कर दिया, जिससे मेन बाजार में ही पुलिस को रास्ता बंद करना पड़ा।

मरीज के स्वजनों ने मांग की कि डयूटी में लापरवाही करने वाले स्टाफ पर जब तक कार्रवाई नही की जाती तब तक वह पीछे नही हटेंगे।

गुर्दे व जिगर थे खराब

सिविल अस्पताल में तैनात डा. अजविंदर सिंह ने बताया कि रंजीत सिंह की जांच करवाई गई थी। जांच में रंजीत सिंह के गुर्दे व जिगर खराब होने की बात सामने आई थी। इसी आधार पर रंजीत सिंह को करीब पौने दो बजे रेफर किया गया था। जहां रिपोर्ट कार्ड व टेस्ट देखने के बाद उसे इंमरजेंसी में टीका व ड्रिप लगवाकर तत्काल मरीज को फरीदकोट ले जाने की सलाह दी गई थी, लेकिन इमरजेंसी में पहुंचते पहुंचते मरीज की मौत हो गई थी रविवार को तीन डाक्टरों डा. सुनंदा, डा.नरिंदर सिंह, डा. रोहन के तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड ने रंजीत का पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिया।

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