जालंधर के विधायक राजिंदर बेरी को 1 साल कैद, छह साल धरना देने के मामले में दोषी साबित

छह साल पहले अकाली-भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ धरना प्रदर्शन करते समय दकोहा फाटक पर डेढ़ घंटे के लिए आम्रपाली एक्सप्रेस ट्रेन को रोकने के मामले में विधायक राजिंदर बेरी दोषी साबित हुए हैं। सीजेएम अमित गर्ग की अदालत में उन्हें एक साल कैद की सजा सुनाई है।

By Edited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 08:24 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 04:41 PM (IST)
जालंधर के विधायक राजिंदर बेरी को 1 साल कैद, छह साल धरना देने के मामले में दोषी साबित
जालंधर के विधायक राजिंदर बेरी को अदालत ने एक साल कैद की सजा सुनाई है।

संवाद सहयोगी, जालंधर। One Year Jail Term MLA Rajinder Beri Jalandhar छह साल पहले अकाली-भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ धरना प्रदर्शन करते समय दकोहा फाटक पर डेढ़ घंटे के लिए आम्रपाली एक्सप्रेस ट्रेन को रोकने के मामले में विधायक राजिंदर बेरी दोषी साबित हुए हैं। इसके बाद सीजेएम अमित गर्ग की अदालत में उन्हें एक साल कैद की सजा सुनाई है। सजा सुनाए जाने के बाद बेरी ने फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए जमानत की अर्जी दायर की और अदालत में उसे मंजूर कर लिया गया।

विधायक बेरी के खिलाफ दो मई 2015 को थाना आरपीएफ में मामला दर्ज किया गया था। आरपीएफ के एएसआइ हरिंदर पाल सिंह ने शिकायत दी थी कि तत्कालीन जिला कांग्रेस प्रधान राजिंदर बेरी के नेतृत्व में करीब डेढ़ सौ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दकोहा फाटक पर धरना दिया। इस दौरान वहां से आम्रपाली एक्सप्रेस निकली थी, जिसे करीब डेढ़ घंटे तक रोके रखा गया था। एएसआइ हरिंदर सिंह के बयानों पर मामला दर्ज हुआ था। छह साल बाद इस मामले में विधायक बेरी को एक साल कैद की सजा के साथ दो हजार रुपये जुर्माना किया गया। जुर्माना अदा न करने पर उनको एक महीने अतिरिक्त कैद की सजा सुनाई गई है।

फैसले के खिलाफ हो सकती है अपील

एडवोकेट विनय शर्मा ने बताया कि एक साल की सजा होने के बाद ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए मौके पर ही जमानत मिल जाती है। फैसले के खिलाफ अपील करने के पहले सेशन कोर्ट में अर्जी लगा सकते हैं और यदि वहां पर फैसला वही रहता है तो हाई कोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट जाया जा सकता है।

लोकहित में लगाया था धरना

बेरी विधायक राजिंदर बेरी ने बताया कि उन्होंने लोकहित में धरना लगाया था। उन्होंने कहा कि धरने के तीन साल बाद मामला दर्ज हुआ था। अदालत ने जो फैसला दिया उसके खिलाफ जल्द ही ऊपरी अदालत में अपील दायर की जाएगी।

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