Martyrs Day: आजादी के लिए फांसी के फंदे को चूमने वाले भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को आज तक नहीं मिला शहीद का दर्जा

Martyrs Day देश की आजादी के लिए फांसी के फंदे पर झूलने वाले शहीद भगत सिंह राजगुरु व सुखदेव को उनकी शहादत पर हर वर्ष याद किया जाता है लेकिन उन्हें आज तक शहीद का दर्जा नहीं मिल पाया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 23 Mar 2021 03:17 PM (IST) Updated:Tue, 23 Mar 2021 03:25 PM (IST)
Martyrs Day: आजादी के लिए फांसी के फंदे को चूमने वाले भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को आज तक नहीं मिला शहीद का दर्जा
शहीद भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु की फाइल फोटो।

जेएनएन, शहीद भगत सिंह नगर [नवांशहर]। Martyrs Day: शहीद भगत सिंह के शहीदी दिवस पर पंजाब के कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा द्वारा शहीद स्मारक गांव खटकड़ कलां में एक सादे समारोह के दौरान श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कोरोना के बढ़ रहे केसों को देखते हुए प्रदेशस्तरीय कार्यक्रम को रद कर दिया गया था। हर वर्ष ही शहीद की स्मारक पर बड़े-बड़े आयोजन होते थे, पर पिछले वर्ष 23 मार्च को ही कोरोना के कारण कर्फ्यू लग गया था, जिससे सभी समारोहों को रद्द करना पड़ा था।

शहीद की स्मारक पर बेशक हर राजनीतिक पार्टी की ओर से अपने कार्यक्रम पेश किए जाते हैं पर अभी तक भगत सिंह को शहीद का दर्जा नहीं मिल सका है। वहीं, गांव की भी कई मांगें अधूरी हैं। गांव वासी सतनाम सिंह संधू, त्रिलोक सिंह पूर्व सरपंच सुखविंदर सिंह ने बताया कि शहीद भगत सिंह की माता विद्यावती के नाम बनाए गए पार्क का काम शुरू नहीं किया गया। इस गांव को केंद्र सरकार द्वारा सुंदर ग्राम स्कीम अधीन लिया गया था। गांव का छप्पड़ गंदगी से भरा हुआ है। छप्पड़ के आसपास उगी घास बूटी से जीव जंतु लोगों के घरों में घुस जाते हैं।

गांववासियों की मांग है कि गांव में गंदा पानी अंडरग्राउंड कर दिया जाए और छप्पड़ को भरकर बच्चों के लिए ग्राउंड बना दिया जाए। गांव में बच्चों के खेलने के लिए कोई ग्राउंड नहीं है। खेल स्टेडियम तीन किलोमीटर की दूरी पर है, पर बच्चे वहां पर जाते नहीं हैं। अभी स्टेडियम का काम भी रुका हुआ है। जिन लोगों के पास अपने वाहन हैं वह तो शहीद की स्मारक पर जाते हैं पर बसों के न रूकने के कारण आम जनता यहा तक नहीं पहुंच पाती है। मुख्यमंत्री को कई बार गांव की पंचायत की ओर से बसों को रोकने के बारे में लिखा गया है, पर हालात वही पुराने वाले ही हैं।

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जबर विरुद्ध एक्शन एंड वेलफेयर कमेटी की ओर से पिछले कई सालों से शहीद भगत सिंह को शहीद का दर्जा दिलवाने के लिए लगातार संघर्ष किया जा रहा है। कमेटी की ओर से शहीद की स्मारक पर वर्ष 2018 में लगातार कई दिनों तक भूख हड़ताल की गई थी। जिले में रोष प्रदर्शन तक किए गए थे। कमेटी के अध्यक्ष जसवंत सिंह भारटा बताते हैं कि आज भी कमेटी संघर्ष कर रही है। कई बार लिखित में प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार से मांग की गई पर आज तक जबाब नहीं मिला।

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जिला शहीद भगत सिंह नगर की जबर विरुद्ध एक्शन एंड वेलफेयर कमेटी के सदस्यों ने भगत सिंह और उनके साथियों को शहीद का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में दो वर्ष पहले धरना देेेेकर गृहमंत्री अमित शाह से शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शहीद का दर्जा दिलाने व सरकारी छुट्टी की घोषणा करने की मांग की थी। कमेटी की ओर से इस मांग को लेकर जिले के डिप्टी कमिश्नर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपे गए थे।

यहां बना है म्यूजियम

म्यूजियम में शहीद से जुड़ी हुई वस्तुओं को रखा गया है व घटनाओं का वर्णन किया गया है। तोप के आगे खड़ा स्वतंत्रता सेनानी, कामागाटा मारू की फोटो, भगत सिंह के बर्थ गैलरी में फोटो, अंग्रेजों के जुल्म, महाराजा रणजीत सिंह की रोपड़ संधि की फोटो, उनके जीवन से जुड़े सामान जिसमें कुछ दस्तावेज शामिल हैं।

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चार मॉडल के जरिए भगत सिंह के जीवन से संबंधित लाहौर नेशनल कालेज, लाहौर का पुलिस हेडक्वार्टर जहां भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ पुलिस अधिकारी सांडर्स को मारकर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया था का दृश्य, लाहौर रेलवे स्टेशन से अपना हुलिया बदलकर हैट पहनकर बचकर बाहर आते हुए का दृश्य व गुप्त ठिकाने पर स्वतंत्रता आंदोलन के लिए योजना बनाने का माडल बनाया गया है।

माता विद्यावती का भगत सिंह के बारे में दिया गया इंटरव्यू, सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने की घटना को प्रदर्शित किया गया है। यहां घटना का चित्र व साउंड का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे उस समय के बारे में लोगों को जानकारी मिलती है। इसके अलावा जेल गैलरी में जेल का दृश्य बनाया गया है। उस समय की अखबारों में प्रकाशित खबरों को दिखाया गया। लाहौर जेल में भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव के फांसी के दृश्य को लाइट इफेक्टस, साउंड व लेजर के द्वारा प्रदर्शित कर जीवंत बनाया गया है।

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