वीरों की धरती से एक और जांबाज ने दी कुर्बानी, जानें शहीद सुखजिंदर के जीवन की खास बातें

मातृभूमि की सेवा के लिए पंजाब के सैकड़ों लाल शहादत दे चुके हैं। पुलवामा में हुए आतंकी हमले में तरनतारन जिले के सुखजिंदर सिंह ने भी शहादत दी।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 16 Feb 2019 05:11 PM (IST) Updated:Sat, 16 Feb 2019 05:11 PM (IST)
वीरों की धरती से एक और जांबाज ने दी कुर्बानी, जानें शहीद सुखजिंदर के जीवन की खास बातें
वीरों की धरती से एक और जांबाज ने दी कुर्बानी, जानें शहीद सुखजिंदर के जीवन की खास बातें

जेएनएन, तरनतारन। देश के लिए जान की बाजी लगाने में पंजाबी गबरू कभी पीछे नहीं रहे हैं। इसीलिए इसे वीरों की धरती कहा जाता है। मातृभूमि की सेवा के लिए यहां के सैकड़ों लाल शहादत दे चुके हैं। पुलवामा में हुए आतंकी हमले में तरनतारन जिले के सुखजिंदर सिंह ने भी शहादत दी।

पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए 35 वर्षीय सुखजिंदर सिंह मूलरूप से गांव गंडीविंड धट्टल के रहने वाले थे। पिता गुरमेज सिंह छोटे किसान हैं। उनके पास मात्र दो एकड़ जमीन है, जिस पर वह छोटे बेटे गुरजंट के साथ खेतबाड़ी का काम करते हैं। सुखजिंदर की एक छोटी बहन लखबिंदर कौर है जिसकी शादी हो चुकी है।

बारहवीं की पढ़ाई के बाद सुखजिंदर वर्ष 2003 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। उनकी पहली पोस्टिंग असम में थी। वह वर्तमान में जम्मू में तैनात थे। सुखजिंदर सिंह सीआरपीएफ की 76वीं बटालियन में बतौर कांस्टेबल तैनात थे। वह 28 जनवरी को ही एक माह की छुट्टी के बाद ड्यूटी पर लौटे थे।

शादी के आठ साल गूंजी थी घर में किलकारियां

सुखजिंदर सिंह की शादी की आठ वर्ष पहले सर्बजीत कौर के साथ हुई। दोनों के काफी दिनों तक कोई संतान नहीं हुर्ई थी। सात महीने पहले ही उनके घर पुत्र का जन्म हुआ। बेटा गुरजोत सिंह अभी पिता के बारे में कुछ समझ पाता उसके सिर से उनका साया उठ गया।

कनाडा में सेटल होने का था सपना

सुखजिंदर सिंह रिटायरमेंट के बाद परिवार के साथ कनाडा में सेटल होना चाहते थे। वह कई बार अपने परिजनों से इस बारे में बात करते थे। कौन जानता था कि उनके इस सपने को आतंकियों की बुरी नजर लग जाएगी।

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