बीमारी और भविष्य को लेकर दुकानदार चिंतित, पूछा-कब खुलकर जी सकेंगे

एक तरफ महामारी का डर सता रहा है तो दूसरी तरफ भविष्य की चिंता। व्यापारी वर्ग दुविधा में हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 07:05 PM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 07:05 PM (IST)
बीमारी और भविष्य को लेकर दुकानदार चिंतित, पूछा-कब खुलकर जी सकेंगे
बीमारी और भविष्य को लेकर दुकानदार चिंतित, पूछा-कब खुलकर जी सकेंगे

जागरण संवाददाता, जालंधर : एक तरफ महामारी का डर सता रहा है तो दूसरी तरफ भविष्य की चिता बढ़ती जा रही है। कोरोना से बचाव के लिए बार-बार लगाए जा रहे लाकडाउन से कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। दुकानदारों ने सरकार से पूछा कि वे कब से दोबारा खुलकर जी सकेंगे। अमेरिका में तो एक चौथाई आबादी को बिना मास्क घूमने की आजादी भी दे दी गई। भारत में भी वैक्सीनेशन प्रक्रिया में तेजी लाकर उनको कोरोना के डर से मुक्ति दिलाई जाए। दुकानदार सरकार की नीतियों को लेकर भी असमंजस में हैं। सोमवार को दैनिक जागरण के फेसबुक लाइव में गुरु नानकपुरा मार्केट के दुकानदारों से बातचीत की गई। पेश हैं बातचीत के अंश :

---- सरकार को कुछ सोचना होगा : शैली

स्टेशनरी शॉप चलाने वाले शैली ने कहा कि कारोबार एक वर्ष पहले से प्रभावित होना शुरू हुआ था और अब तो रोटी की चिता भी सताने लगी है। कारोबार तो बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। अब तो सरकार को ही कुछ सोचना होगा। बीमारी को लेकर हर बार नई बात सामने आ रही : निर्मलजीत

निर्मलजीत सिंह कहा कि सरकार लोगों को बीमारी के बारे में अभी तक कुछ बता ही नहीं सकी। लोग अभी तक बीमारी को लेकर असमंजस है। साल बीतने के बावजूद लोग परेशान ही घूमते नजर आ रहे हैं। कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। काम धंधे बंद पड़े हैं। प्रत्येक मौत को कोरोना से जोड़ा जा रहा है। सरकारी मदद की जरूरत : बॉबी

बॉबी ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि लॉकडाउन और क‌र्फ्यू के चलते कामकाज तो खत्म होने की कगार पर ही आ पहुंचा है। बिना सरकारी सहायता के दुकानदारों का कोई भविष्य नहीं है। कब तक कर्ज लेकर व्यापार व घर चलाते रहेंगे। भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है : अरुण कुमार

अरुण कुमार ने कहा कि बाजार खोलने के लिए बीच-बीच में छूट दी जा रही है। इससे कारोबार भी नहीं चल पा रहा है और बीमारी को भी पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा रहा है। इसे लेकर तो सरकार को ही नीति बनानी चाहिए भविष्य तो अंधकार में ही नजर आ रहा है। लाकडाउन का पालन भी तो होना चाहिए : संजीव

संजीव कुमार ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर बचाव ही सबसे ज्यादा जरूरी है। लाकडाउन लगाया गया पर उसका पालन करना चाहिए। बीमारी से बचने के लिए लाकडाउन और क‌र्फ्यू तो अब जरूरी ही नजर आ रहे हैं। पहले बीमारी का खात्मा जरूरी : रुपिदर

रुपिदर ने कहा कि मौजूदा समय में भीड़ से बचना ही बीमारी से बचने का एकमात्र उपाय है। लोगों को घर के अंदर ही बैठना होगा। बीमारी से बचने के बाद रोजगार को दोबारा भी पटरी पर लाया जा सकता है। कुछ नजर नहीं आ रहा : अमरिंदर पाल

अमरिदर पाल सिंह ने कहा कि दुकानदारी से ही परिवार की रोटी चलती है। लाकडाउन से दुकानदारी बिल्कुल खत्म हो चुकी है। कामकाज दोबारा कैसे चल पाएगा। इसे लेकर कुछ नजर नहीं आ रहा। मार्केट बंद करना तर्कसंगत है : सनी

सनी ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हो ही चुके हैं, लेकिन बीमारी से बचने के लिए मार्केट बंद करना शायद तर्कसंगत ही है। शारीरिक दूरी बनाए रखना और मास्क लगाना बेहद जरूरी है और अंदर बैठना भी जरूरी है। पूर्ण लाकडाउन लगा देना चाहिए : कुंद्रा

केके कुंद्रा ने कहा कि जो सरकारी नीति अपनाई जा रही है वह पर्याप्त नहीं है। सरकार को सख्ती के साथ पूर्ण लाकडाउन लागू कर देना चाहिए और बाजार खोल देने चाहिए। बिना रोजगार जीवन यापन संभव नहीं : सुरेश अरोड़ा

सुरेश अरोड़ा ने कहा कि मौजूदा समय में बीमारी से बचना बेहद जरूरी है, लेकिन हर एक आदमी भविष्य को लेकर भी चितित है। बिना रोजगार के जीवन यापन संभव नहीं है। अमेरिका में तो सब खोल भी दिया गया लेकिन भारत में दोबारा पूर्ण लाकडाउन लगने की तैयारी है।

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