मंगल-गुरु का घाटा पूरा नहीं कर पा रहा रविवार, शराब ठेकेदार बोले- कोटा घटाए सरकार

शराब की बेहद कम बिक्री के कारण जालंधर में शराब ठेकेदार परेशान हो गए हैं। उन्होंने मेल लिखकर आबकारी विभाग को कोटा घटाने के लिए कहा है।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 07:18 PM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 07:18 PM (IST)
मंगल-गुरु का घाटा पूरा नहीं कर पा रहा रविवार, शराब ठेकेदार बोले- कोटा घटाए सरकार
मंगल-गुरु का घाटा पूरा नहीं कर पा रहा रविवार, शराब ठेकेदार बोले- कोटा घटाए सरकार

जालंधर, जेएनएन। साधारण दिनों में शनिवार और रविवार पूरे सप्ताह की शराब बिक्री की कमी को पूरा कर डालते थे, लेकिन अब वीकेंड मंगलवार एवं वीरवार को कम रहने वाली शराब की बिक्री को भी पूरा नहीं कर पा रहा हैं। हालात ये हो गए हैं कि शनिवार को शराब की बिक्री 50 फीसद तक जा गिरती है और रविवार को यह आंकड़ा कई बार तो 80 फीसद तक लुढ़क जाता है।

रविवार को एक बार फिर से ऐसा ही हुआ है और शराब ठेकों के कारिंदे दिनभर के अधिकतर समय खाली बैठे हुए नजर आए। शराब की बेहद कम बिक्री के चलते सरकारी फीस की अदायगी कर पाने में भी खुद को असमर्थ बता रहे शराब ठेकेदारों ने अब आबकारी विभाग को मेल भेजकर शराब बिक्री का कोटा कम करने की गुहार लगाई है। ठेकेदारों की मांग है कि सरकार खुद बिक्री का विश्लेषण करें और उसी के मुताबिक कोटा भी तय करे। विभाग की तरफ से तय कर दिए गए कोटे के मुताबिक ही शराब ठेकेदारों को हर हाल में शराब की न्यूनतम उतनी बिक्री करनी ही पड़ती है।

शराब ठेकेदारों का कहना है कि आबकारी विभाग के अधिकारी बस स्टैंड रेलवे स्टेशन कचहरी आदि जैसे अति व्यस्त इलाकों में शराब बिक्री का कोटा ज्यादा तय करते हैं। बीते चार महीने से बसों और ट्रेनों का आवागमन लगभग बंद पड़ा है और ऐसा ही कुछ हाल कचहरी के आसपास का भी है। शराब ठेकेदार बिक्री कर ही नहीं पा रहे हैं।

आहते, शादियां और पार्टियां बंद, इसीलिए खपत घटीः ठेकेदार

ठेकेदार यह भी कह रहे हैं कि करोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए शरीर की दूरी के सिद्धांत को लागू करना जरूरी है, इसी के चलते अहाते और बार अभी बंद पड़े हैं। शराब की ज्यादातर बिक्री इन दोनों जगहों पर ही होती थी। उसके बाद शादियों और पार्टियों में शराब की खपत होती थी। अब तो ऐसे आयोजन भी बेहद नियंत्रित हो चुके हैं। इस कारण आबकारी विभाग असल बिक्री के मुताबिक ही कोटा तय करें अन्यथा ठेकेदारों के लिए सरकारी फीस की अदायगी कर पाना भी असंभव हो जाएगा।

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