पिता से पड़ी डांट से सीखा जिंदगी का सबक, 75 साल की उम्र में भी एकदम फिट हैं विधायक डॉ. धर्मबीर अग्निहोत्री

विधायक डा. धर्मबीर के पिता पंडित माधो राम क्षेत्र के नामवर हकीम थे। वह पिता के नाम पर शेरों में अस्पताल भी चलाते हैं। यहां किसी भी मरीज की ओर से किए गए उधार का हिसाब रखने के लिए उन्होंने कोई कापी या रजिस्टर नहीं लगाया।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 12:58 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 12:58 PM (IST)
पिता से पड़ी डांट से सीखा जिंदगी का सबक, 75 साल की उम्र में भी एकदम फिट हैं विधायक डॉ. धर्मबीर अग्निहोत्री
तरनतारन के विधायक डा. अग्निहोत्री सादा जीवन व्यतीत करने के साथ सादा भोजन करने के शौकीन हैं।

तरनतारन [धर्मबीर सिंह मल्हार]। छह फुट ऊंचा कद, शरीर एकदम फिट और चेहरे पर मुस्कान। यह हैं विधायक डा. धर्मबीर अग्निहोत्री। उन्हें भले ही अधिकतर लोग विधायक के तौर पर जानते हैं, परंतु वह एक अच्छे डाक्टर भी हैं। जिंदगी के 75 बसंत देख चुके डा. अग्निहोत्री सादा जीवन व्यतीत करने के साथ सादा भोजन करने के शौकीन हैं। प्रेम नगर जंडियाला रोड (तरनतारन) में रहने वाले डा. धर्मबीर के पिता पंडित माधो राम क्षेत्र के नामवर हकीम थे। पिता के नाम पर डा. धर्मबीर शेरों में अस्पताल भी चलाते हैं। उनकी खासियत है कि अस्पताल में किसी भी मरीज की ओर से किए गए उधार का हिसाब रखने के लिए उन्होंने कोई कापी या रजिस्टर नहीं लगाया। उनकी निजी किताब के पन्ने खोलें तो पता चलता है कि वह नर्म दिल के इंसान हैं। परिवार में पत्नी किरण अग्निहोत्री, बड़े बेटे नरेश अग्निहोत्री, छोटे बेटे डा. संदीप अग्निहोत्री, बहू ज्योति अग्निहोत्री, पोता रोनित व पोती सुनेहा हैैं। उनके पुत्र संदीप व बहू ज्योति भी डाक्टर हैं।

गांव शेरों में पैदा हुए डा. अग्निहोत्री को याद है कि जब पिता यहां हकीमी करते थे तो उन्होंने एक बार जड़ी-बूटी लाने के लिए कहा था। उस दिन गांव में दंगल हो रहा था। नामवर पहलवानों को देखने के लिए दंगल में चले गए व जड़ी-बूटी लाना भूल गए। बस फिर क्या था, पिता ने कान पकड़कर ऐसा सबक सिखाया कि जिंदगी में दोबारा किसी काम में लापरवाह नहीं हुए। डा. धर्मबीर रोज सुबह पांच बजे उठते हैं। एक घंटा योग करते हैं। प्रकृति से भी उनको बहुत प्यार है। घर में लगे पेड़-पौधों की भी वह रोड अच्छे से देखभाल करते हैं। सुबह नौ से साढ़े नौ बजे के बीच ब्रेकफास्ट करते हुए वह गजल सम्राट जगजीत सिंह की गजलें सुनते हैं।

परिवार के लिए समय निकालना नहीं भूलते

विधायक बनने के बाद उनका शेडयूल भले ही व्यस्त रहता है। परंतु परिवार के लिए वह समय निकालना नहीं भूलते। खाने में उनको पीली दाल, सरसों का साग, मक्की की रोटी व चाटी की लस्सी काफी पसंद है। दिन में रायता व ग्रीन सैलेड लेते हैैं। उनको खाना बनाना नहीं आता। हालांकि पूरे परिवार के लिए चाय बनाकर एक साथ जरूर पीते हैं।

पहनते हैं बेटा और बहू के पसंद किए कपड़े
विधायक डा. धर्मबीर के पहनावे की बात करें तो सर्दियों में वह अधिकतर कोट पैंट पहनते हैं। गर्मी में टी-शर्ट पहनना पसंद करते हैं। वह मौंट ब्लैक का महंगा पैन इस्तेमाल करते हैं जो उन्हें उनके बेटे संदीप ने दिया है। राडो कंपनी की घड़ी बड़े बेटे नरेश खरीदकर देते हैं। उनके लिए कपड़े बहु ज्योति व पुत्र डा. संदीप खुद खरीदते हैं। वह जेब में डायरी रखते हैं क्योंकि राह जाते लोगों का मर्ज देखकर उनको दवाई लिखकर देनी होती है। इसके अलावा अब तो वह अपनी गाड़ी में काफी मास्क रखते हैं। बुजुर्गों से आशीर्वाद लेते समय उन्हेंं मास्क देकर कोरोना से बचाव के लिए जागरूक भी करते हैं।

फुर्सत के पलों में गुनगुनाते हैैं जगजीत सिंह की गजलें

डा. धर्मबीर जगजीत सिंह के अलावा मोहम्मद रफी, आशा भोसले, पंजाब के प्रसिद्ध कलाकार आसा सिंह मस्ताना के गीत सुनना उनको पसंद है। फुर्सत के पल में वह 'यह दौलत भी ले लो, यह शौहरत भी ले लो.... भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी..., एक प्यार का नगमा है, मौजों की रवानी है, जिंदगी ओर कुछ भी नहीं, तेरी-मेरी कहानी है... आदि गजल व गीत गुनगुनाते हैं। वह ये गीत इसलिए सुनते हैं क्योंकि ये सदाबहार हैं और उनको सुकून देते हैं।

राजनीति को लेकर नजरिया
डा. अग्निहोत्री कहते हैं कि आज के दौर में लोग भले ही सियासत को ठीक नहीं समझते। परंतु ईमानदारी से की गई सियासत किसी पूजा से कम नहीं होती। लोगों के साथ उनकी सियासी नहीं, बल्कि निजी सांझ है।

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