Punjab Politics: सीएम चरणजीत सिंह चन्नी दोआबा से किसे बनाएंगे मंत्री, दलित व जट्ट सिख में फंसा पेंच

पंजाब में सबसे ज्यादा दलित वोट बैंक वाले दोआबा से किसे मंत्री बनाना है इसको लेकर विचार-विमर्श तेज हो गया है। फिलहाल कैप्टन के खिलाफ बगावत करने वाले कैंट हलके के विधायक परगट सिंह रेस में सबसे हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 10:54 AM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 10:54 AM (IST)
Punjab Politics: सीएम चरणजीत सिंह चन्नी दोआबा से किसे बनाएंगे मंत्री, दलित व जट्ट सिख में फंसा पेंच
पंजाब कांग्रेस के महासचिव परगट सिंह की फाइल फोटो।

मनोज त्रिपाठी, जालंधर। पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने के बाद दोआबा के सबसे अहम जालंधर को भी नए मंत्रिमंडल में नुमाइंदगी का मौका मिल सकता है। दलित वोट बैंक की राजनीति पर फोकस करने के बाद कांग्रेस व नए मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी के लिए जालंधर को नजरअंदाज करना आने वाले चुनाव में मंहगा पड़ सकता है। यही वजह है कि पंजाब में सबसे ज्यादा दलित वोट बैंक वाले दोआबा से किसे मंत्री बनाना है, इसको लेकर विचार-विमर्श तेज हो गया है। फिलहाल कैप्टन के खिलाफ बगावत करने वाले कैंट हलके के विधायक परगट सिंह रेस में सबसे हैं। सिद्धू के करीबी होने के नाते परगट को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। चन्नी ने उनके घर जाकर भी इस बात के संकेत दिए हैं, लेकिन दोआबा से मंत्री बनाने को लेकर सबसे बड़ा पेंच दलित व जट्ट सिख के बीच फंसा है।

जट्ट सिखों में परगट के अलावा सुल्तानपुर लोधी से नवतेज सिंह चीमा व शाहकोट से लाडी शेरोवालिया के नामों पर भी विचार किया जा सकता है, लेकिन परगट व लाडी के रिश्तेदार होने के कारण दोनों को मंत्री बनाना संभव नहीं होगा। लाडी भी खुद के बजाय परगट को मंत्री बनाने पर जोर देंगे। परगट के पास पार्टी संगठन में महासचिव की भी जिम्मेवारी है इसलिए इस बात पर भी मंथन किया जा रहा है कि जिस आधार पर सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रधान होने के कारण मुख्यमंत्री के पद से दूर रखा गया, उसी तर्ज पर परगट के पास भी संगठन की अहम जिम्मेवारी होने के कारण उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर रखा जाए या कैप्टन के विरोध का इनाम दिया जाए।

नवतेज चीमा युवा चेहरा

अगर परगट को मंत्री नहीं बनाया जाता तो कैप्टन के करीबी रहे नवतेज चीमा को युवा चेहरे के रूप में मंत्रिमंडल में स्थान दे सकते हैं। चीमा लंबे समय से दोआबा के विधायकों के मुकाबले डिप्लोमेसी में आगे रहे हैं।

कांग्रेस की दलित हितैषी राजनीति शुरू करने के बाद दोआबा के दलित चेहरों में काफी उत्साह है। अगर किसी दलित को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई तो निश्चित तौर पर आने वाले चुनाव पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए जट्ट व दलित के बीच बैलेंस बनाने व दलित वोट बैंक के मद्देनजर पार्टी सुशील रिंकू व चौधरी सुरिंदर सिंह के साथ-साथ डा, राजकुमार चब्बेवाल के नामों पर भी विचार किया जा रहा है।

चौधरी परिवार के साथ हैं पुराने रिश्ते

चौधरी जगजीत सिंह 2002 से 2007 के बीच लोक लबाडी मंत्री थे, तो चन्नी आजाद विधायक थे, तब चन्नी व चौधरी में नजदीकी रिश्ते बने थे। उस समय खरड़ में तमाम कालोनियों को काटा जा रहा था। चन्नी का हलका करीब होने के कारण चौधरी चन्नी से तमाम मामलों में सलाह लेकर चलते थे। यही वजह है कि उम्मीद की जा रही है कि चन्नी सुरिंदर के पिता के साथ अच्छे रिश्तों का तोहफा जगजीत के बेटे सुरिंदर को मंत्रीमंडल में शामिल करके दे सकते हैं।

ऐसे लग सकता है बेरी का नंबर

दोआबा में भले ही दलित वोटर सबसे ज्यादा हैं, लेकिन पार्टी हंिदूू वोटरों को भी नाराज नहीं करना चाहेगी। इसलिए सेंट्रल हलके के विधायक राजिंदर बेरी के नाम पर भी गंभीरता के साथ विचार किया जा सकता है। फिलहाल मंत्रियों को बनाने को लेकर कुछ नाम सिद्धू के तरफ से तो कुछ डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा की तरफ से भी दिए गए हैं। यह चन्नी ही पहली परीक्षा है कि दोआबा में किस प्रकार से वह दलित, सिख व हिंदू वोटरों के बीच बैलेंस बनाते हैं।

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