शनि अमावस्या 2021: शनि का प्रकोप खत्म करने को पवित्र नदियों में स्नान करें, पीपल पर जल चढ़ाएं, जानें पूजा मुहूर्त

शनि अमावस्या 2021 पुजारी पंडित दविंदर शुक्ला बताते हैं कि सनातन धर्म के प्रमुख पर्व व त्योहारों में शनि उपासना का खास महत्व है। इस दिन की शुरुआत पवित्र नदियों में स्नान के साथ की जानी चाहिए। शनिदेव को समर्पित यज्ञ में आहुतियां दें भगवान शिव सहस्त्रनामा का पाठ करें।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 12:02 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 12:47 PM (IST)
शनि अमावस्या 2021: शनि का प्रकोप खत्म करने को पवित्र नदियों में स्नान करें, पीपल पर जल चढ़ाएं, जानें पूजा मुहूर्त
शनि का प्रकोप समाप्त करने के लिए भगवान शनिदेव को समर्पित हवन में आहुतियां देनी चाहिए। सांकेतिक चित्र।

शाम सहगल, जालंधर। भगवान शनिदेव की पूजा के लिए अति महत्वपूर्ण दिन शनि अमावस्या चार दिसंबर को मनाई जाएगी। इसे लेकर जहां शहर के मंदिरों में आयोजन किए जाएंगे, वहीं भगवान शनिदेव की कृपा पाने के लिए भगवान शिव की उपासना की जाएगी। कारण, भगवान शिव की आराधना करने से शनि का प्रकोप कम हो जाता है। इसके साथ ही पवित्र नदियों में स्नान व दान करने का भी खास महत्व बताया गया है।

श्री भद्रकाली ज्योतिष केंद्र के पंडित देवी लाल बताते हैं कि शनि अमावस्या का दिन भगवान शनिदेव को प्रसन्न करने का सबसे बेहतर अवसर है। इस दिन कुंडली से शनि का प्रकोप समाप्त करने व उनकी कृपा पाने के लिए भगवान शनिदेव को समर्पित हवन में आहुतियां देनी चाहिए। मां चिंतपूर्णी मंदिर माई हीरां गेट के पुजारी पंडित दविंदर कुमार शुक्ला बताते हैं कि सनातन धर्म के प्रमुख पर्व व त्योहारों में शनि उपासना का खास महत्व है। इस दिन की शुरुआत पवित्र नदियों में स्नान के साथ की जानी चाहिए। मां बगलामुखी धाम समिति, गुलमोहर सिटी होशियारपुर रोड में शनि अमावस्या को लेकर हवन का आयोजन शाम छह बजे से होगा।

भगवान शनिदेव व हनुमान जी की करें उपासना: पं. देवी लाल

पंडित देवी लाल बताते है कि शनि का प्रकोप कम करने के लिए भगवान शिव व हनुमान की उपासना करनी चाहिए। इस दौरान शिवलिंग पर रोजाना जल अर्पित करने के साथ-साथ हनुमान चालीसा का भी निरंतर उच्चारण किया जाना चाहिए। दोपहर चालीसा का उच्चारण करके कुंडली से शनि के दोष का प्रकोप कम किया जा सकता है।

शनि अमावस्या मुहूर्त

अमावस्या तिथि तीन दिसंबर को शाम 4.56 बजे शुरू होगी जो चार दिसंबर को दोपहर 1.13 बजे तक रहेगी। चार दिसंबर को भगवान शनिदेव की उपासना करना बेहतर है।

शनि अमावस्या पर यह करें पवित्र नदियों में स्नान करें शनिदेव को समर्पित यज्ञ में आहुतियां दें भगवान शिव सहस्त्रनामा का पाठ करें पीपल के पेड़ की पूजा व जल अर्पित करें काले कुत्ते को सरसों के तेल से बनी रोटी खिलाएं

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