Kargil Vijay Diwas : शहीद नायक हरपाल का आखिर खत पढ़कर पत्नी दविंदर आज भी हो जाती हैं भावुक, लिखा था- मैं वापस आउंगा...

अमृतसर के गांव जेठूवाल में जन्मे नायक हरपाल सिंह ने अपनी पत्नी से वादा किया था कि वह जल्द घर लौट आएगा पर हरपाल वादा पूरा नहीं कर पाए। देश पर जब आंच आई तो वे सीना तानकर दुश्मन का मुकाबला करने लगे।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 10:56 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 10:56 AM (IST)
Kargil Vijay Diwas : शहीद नायक हरपाल का आखिर खत पढ़कर पत्नी दविंदर आज भी हो जाती हैं भावुक, लिखा था- मैं वापस आउंगा...
हरपाल सिंह का आखिरी खत पत्नी दविंदर कौर ने संभालकर रखा है।

नितिन धीमान, अमृतसर। नायक हरपाल सिंह ने अपनी पत्नी से वादा किया था कि वह जल्द घर लौट आएगा, पर हरपाल वादा पूरा नहीं कर पाए। देश पर जब आंच आई तो वे सीना तानकर दुश्मन का मुकाबला करने लगे। अमृतसर के गांव जेठूवाल में जन्मे नायक हरपाल सिंह 29 अक्टूबर, 1999 को कारगिल के द्रास सेक्टर में शहीद हुए थे। इससे पहले उन्होंने अपनी पत्नी दविंदर कौर को पत्र लिखा था- 'पिताजी—माताजी को सतश्री अकाल। बच्चों को प्यार। द्रास सेक्टर में माहौल तनावपूर्ण है। तू चिंता मत करना। मैं ठीक हूं। यह हमारी ड्यूटी है। माहौल ठीक हो जाएगा। मैं 22 नवंबर तक घर आ जाऊंगा। चंगा अपना ख्याल रखना।' हरपाल सिंह घर आए, लेकिन तिरंगे में लिपटकर।

हरपाल सिंह का यह आखिरी खत दविंदर कौर ने संभालकर रखा है। इस पत्र को पढ़कर वह भावुक हो जाती हैं। उनके अनुसार ऐसा लगता है कि वे आने ही वाले हैं। उनकी शहादत के वक्त बेटा सवा महीने का था। बड़ी बेटी सुखबीर कौर ने बीटेक की है और अभी आस्ट्रेलिया में है। छोटी बेटी लवली यूनिवर्सिटी में पढ़ रही है। सबसे छोटा बिक्रमजीत सिंह भी पढ़ रहा है।

दविंदर कौर के अनुसार उनके ससुर गुरदयाल सिंह सीमा सुरक्षा बल में कार्यरत थे। बेटे की शहादत के बाद उन्होंने ट्रस्ट बनाया, जहां शहीद की याद में हर साल खेल मेले करवाए जाते हैं। ससुर का देहांत होने पर अब यह जिम्मेवारी भी उनके कंधों पर आ गई है। वह खेल मेला गांववासियों के सहयोग से हर साल मार्च में करवाती हैं।

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