वेस्ट कपड़े से सजावटी सामान बना रही 'बीबियां दी हट्टी'

नगर निगम के मेरा कूड़ा मेरे जिम्मेवारी अभियान के तहत शनिवार का फोकस कपड़ों की वेस्ट पर रहा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Sep 2020 06:10 AM (IST) Updated:Sun, 20 Sep 2020 06:10 AM (IST)
वेस्ट कपड़े से सजावटी सामान बना रही 'बीबियां दी हट्टी'
वेस्ट कपड़े से सजावटी सामान बना रही 'बीबियां दी हट्टी'

जागरण संवाददाता जालंधर : नगर निगम के 'मेरा कूड़ा मेरे जिम्मेवारी' अभियान के तहत शनिवार का फोकस कपड़ों की वेस्ट पर रहा। निगम की ज्वाइंट कमिश्नर इनायत गुप्ता ने शनिवार को नेशनल लाइवलीहुड मिशन के तहत बने महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप के कामकाज का मुआयना किया। उन्होंने निगम कांप्लेक्स में ही 'बीबियां दी हट्टी' में महिलाओं की वर्किंग भी देखी। उनके साथ नेशनल लाइवलीहुड मिशन की प्रोजेक्ट इंचार्ज डॉ. निर्मलजीत कौर भी थी।

ज्वाइंट कमिश्नर ने लोगों से अपील की है कि वह कपड़े के वेस्ट को कूड़े में फेंकने की बजाय उनका इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि जिस तरह सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाएं वेस्ट और कपड़ों की बचत में से झोले, सजावट का सामान और घर से जुड़ी जरूरी वस्तुएं बना रहे हैं उसी तरह लोग भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि शहर में बड़ी मात्रा में कपड़ों की वेस्ट निकलती है और अगर इस वेस्ट को कूड़े में पहुंचने से पहले ही रीयूज कर लिया जाए तो शहर में कूड़ा कम करने में बड़ी मदद मिलेगी। ज्वाइंट कमिश्नर ने लोगों से अपील की है कि जो लोग वेस्ट कपड़ा सेल्फ हेल्प ग्रुप तक पहुंचाना चाहते हैं वह नगर निगम परिसर में दे सकते हैं और निगम ऑफिस से संपर्क करके तय जगह पर पहुंचा सकते हैं। उन्होंने बताया कि 'बीबियां दी हट्टी' सिर्फ कपड़ों के काम पर ही फोकस नहीं कर रही हैं बल्कि कूड़े को खाद में बदलने के प्रोडक्ट भी बेच रही हैं। यह हेल्प ग्रुप खुद को भी आत्मनिर्भर बना रहा है। एक हेल्प ग्रुप में सात से 10 महिलाएं होती हैं जो नेशनल लाइवलीहुड मिशन से जुड़कर छोटे-छोटे काम करके रोजाना पांच सौ से 700 रुपये कमा लेती हैं। वे धूप, अगरबत्ती, साबुन, बिस्कुट समेत कई उत्पाद तैयार कर रही हैं।

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