जालंधर के पिता-पुत्र बने आइपीएल के ‘सरताज’, बल्लेबाजों को बाउंसरों से बचाएंगे इनके ये खास हेलमेट

जालंधर में बने यह खास हेलमेल आइपीएल में बैट्समैन को बाउंसरों से बचाएंगे। यह हेलमेल फ्रांस की नवीन एयरोस्पेस तकनीक व टाइटेनियम मैटीरियल से बने हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 20 Sep 2020 10:35 AM (IST) Updated:Sun, 20 Sep 2020 10:50 AM (IST)
जालंधर के पिता-पुत्र बने आइपीएल के ‘सरताज’, बल्लेबाजों को बाउंसरों से बचाएंगे इनके ये खास हेलमेट

जालंधर [मनोज त्रिपाठी]। आइपीएल के 13वें सीजन में इस्तेमाल होने वाली खेल सामग्री पर जालंधर के उद्योगपति पिता-पुत्र का राज होगा। एंटीवायरस किटों (वर्दी) और एयरोस्पेस तकनीक व टाइटेनियम मैटीरियल से पहली बार तैयार किए गए सबसे हल्के हेलमेट की सप्लाई करके दोनों काफी उत्साहित हैं। फ्रांस की नवीन एयरोस्पेस तकनीक व टाइटेनियम मैटीरियल से बने हेलमेट बल्लेबाजों को बाउंसर से सुरक्षित रखने के साथ-साथ गर्मी से भी राहत देंगे। एंटी वायरस किटें दुबई की गर्मी में खिलाड़ियों को वायरस के संक्रमण से बचाएंगी। इन्हें बिना धोए बार-बार इस्तेमाल किया जा सकेगा।

33 साल के युवा उद्यमी राघव कोहली व उनके पिता 57 वर्षीय राजन कोहली ने अलग-अलग एसेसरीज में लोहा मनवाया है। राघव, कोहली स्पोर्ट्स, जबकि पिता टीके स्पोर्ट्स के डायरेक्टर हैं। राघव छोटी उम्र में उद्योग संभालने लगे थे। 20 सालों से हेलमेट का निर्माण कर रहे हैं। पहले वह ब्रिटिश कंपनी के लिए हेलमेट बनाते थे। अब उन्होंने श्रेय नाम से ब्रांड स्थापित कर लिया।

उद्यमी राजन कोहली व उनके पुत्र राघव कोहली।

725 ग्राम भार व मजबूत टाइटेनियम ग्रिल के चलते उनके बनाए हेलमेट खिलाड़ियों की पहली पसंद बन रहे हैं। वे आइपीएल खिलाड़ियों के लिए 500 से ज्यादा हेलमेट भेज चुके हैं। राघव के पिता राजन कोहली ने भी अपनी खास किटों से टाइका ब्रांड को नई पहचान दिलाई है। राघव कहते हैं कि हर खिलाड़ी के सिर का माप अलग-अलग होता है। वह खिलाड़ियों से मिलते हैं और उनके सिर के हिसाब से हेलमेट बनाते हैं। विराट कोहली को ज्यादा शाइनिंग ग्रिल पसंद है। हार्दिक पांड्या कानों के गार्ड पसंद नहीं करते।

सुरक्षा टेस्ट पास करना सबसे कड़ी परीक्षा

हेलमेट बनाने के बाद सबसे बड़ी चुनौती होती है कि ब्रिटिश स्टैंडर्ड व आइसीसी के मानकों के हिसाब से हेल्मेट को पास करवाना। इसके लिए 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लगातार 200 बार गेंद हेलमेट व उसकी जाली पर मारी जाती है। इस टेस्ट में पास होने के बाद ही इसे ग्रीन सिग्नल मिलता है।

सनराइजर्स की टीम पहन रही टाइका ब्रांड की वर्दी

राजन बताते हैं कि हैदराबाद सनराइजर्स की टीम के सभी खिलाड़ियों के लिए टाइका ब्रांड की किटें (वर्दी) दी गई है। एक किट पर 400 से 500 रुपये का केमिकल लग जाता है। उनकी पत्नी सारिका का इनोवेशन व सहभागिता भी मददगार है।

किट व हेलमेट की खासियत अभी तक का सबसे कम भार वाला हेलमेट। पहले एक किलोग्राम भार वाले हेलमेट आते थे। यह 725 ग्राम का होगा। टाइटेनियम ग्रिल कई गुणा ज्यादा सुरक्षित। पसीना कम निकलेगा। गर्मी कम लगेगी। किट (वर्दी) वायरस मुक्त होगी। इन्हें स्वीडन की कंपनी के विशेष केमिकल से सैनिटाइज किया है। किट पहनने में हल्की व गर्मी रोकने वाली है। बिना धोए कई बार इस्तेमाल कर सकते हैं। पसीने की दुर्गंध नहीं आएगी।

भाई की याद में शुरू किया ब्रांड

राघव बताते हैं कि छह साल पहले सड़क हादसे में उनके भाई श्रेय की मौत हो गई थी, इसलिए उन्होंने श्रेय ब्रांड नेम से हेल्मेट बनाने शुरू किए। भाई के नाम को पूरी दुनिया में पहुंचा रहा हूं। खुशी है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने वाले 75 फीसद से ज्यादा खिलाड़ियों के सिर पर श्रेय के ब्रांड का हेलमेट ताज बनकर उनकी सुरक्षा कर रहा है।

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