Sukhmeet Deputy Murder : छोटी उम्र में मिली राजनीतिक ताकत नहीं संभाल पाया सुखमीत डिप्टी, एक अपराध ने किया करियर बर्बाद

करीब 15 साल पहले राजनीति में तेजी से उभरे कांग्रेस नेता सुखमीत सिंह डिप्टी की एक गलती ने ऐसी राह पर धकेला कि आखिरकार यह सफर मौत पर जाकर खत्म हुआ। वह युवा अवस्था में मिली पावर को डिप्टी संभल नहीं पाया और अपराध की राह पर चल पड़ा था।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 11:58 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 12:15 PM (IST)
Sukhmeet Deputy Murder : छोटी उम्र में मिली राजनीतिक ताकत नहीं संभाल पाया सुखमीत डिप्टी, एक अपराध ने किया करियर बर्बाद
सुखमीत सिंह डिप्टी की रविवार को हत्या कर दी गई।

जालंधर, जेएनएन। करीब 15 साल पहले राजनीति में तेजी से उभरे कांग्रेस नेता सुखमीत सिंह डिप्टी की एक गलती ने ऐसी राह पर धकेला कि आखिरकार यह सफर मौत पर जाकर खत्म हुआ। युवा अवस्था में मिली पावर को डिप्टी संभल नहीं पाया और अपराध की राह पर चल पड़ा। उसे एक गलती ने 10 साल के लिए जेल भेज दिया। साल 2008 में एक करोड़ की फिरौती के लिए हुए मिक्की अपहरण केस में सुखमीत डिप्टी मुख्य आरोपित था। वह हाल ही में सजा भुगत कर रिहा हुआ था।

साल 2005 में कालेज की राजनीति से पकड़ बनाने वाला डिप्टी पहले एनएसयूआइ और फिर यूथ कांग्रेस जालंधर देहाती का प्रधान बना था। 2007 में नगर निगम चुनाव में जीत हासिल कर डिप्टी मात्र 26 साल की उम्र में सबसे छोटी उम्र का पार्षद बन गया था। राजनीतिक रूप से मजबूती हुए डिप्टी को एक बिल्डिंग के सौदे में भुगतान के लिए पेमेंट का जुगाड़ करना था। इसके लिए साल 2008 में शहर के बड़े कारोबारी सुभाष नंदा के बेटे गगन नंदा उर्फ मिक्की को किडनैप कर एक करोड़ की फिरौती मांगी थी।

नंदा परिवार ने एक करोड़ की फिरौती भी दे दी थी, लेकिन पुलिस को सूचना मिल चुकी थी कि मामले का मास्टर माइंड सुखमीत डिप्टी है। आखिरकार पुलिस ने सुखमीत डिप्टी समेत आठ आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। साल 2011 में डिप्टी को सेशन कोर्ट से दोहरे उम्रकैद की सजा हुई थी। डिप्टी ने सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील नहीं की थी। वह हाल की में सजा काट कर रिहा हुआ था। कहा जाता है कि जेल में भी डिप्टी का दबदबा था और इसी वजह से कई गैंग उसके दुश्मन भी बन गए थे।

दोबारा से राजनीति में हो रहा था सक्रिय

सुखमीत डिप्टी एक बार फिर से राजनीति में सक्रिय होने लगा था। सजायाफ्ता होने के कारण वह खुद चुनाव नहीं लड़ सकता था, लेकिन अपने परिवार के किसी सदस्य को चुनाव लड़ाने की योजना पर काम कर रहा था। वह न सिर्फ इलाके में सक्रिय हो गया था, बल्कि लोगों के काम करवाने के लिए निगम आफिस आने लगा था। पिछले वीरवार को ही वह कुछ लोगों के साथ निगम आफिस पहुंच अफसरों से मिला था। तब डिप्टी ने कहा था कि वह लोगों के काम को लेकर निगम आफिस में आता रहेगा।

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