पंजाब की रबड़ फुटवियर इंडस्ट्री को तबाह कर देगा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड, विरोध में उतरी मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन
जालंधर में रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष नीरज अरोड़ा ने कहा कि रबड़ चप्पल मैन्युफैक्चरिंग में छोटी इकाइयां कार्यरत हैं और घरों में भी रबड़ चप्पल बनाने में जुटे कई परिवार अपनी रोटी चला रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए बीआईएस की रजिस्ट्रेशन संभव ही नहीं है।
जालंधर, [मनुपाल शर्मा]। आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों के लिए सस्ते में उपलब्ध होने वाली रबड़ की चप्पल बनाने वाली रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग इकाइयां अपने भविष्य को लेकर चिंता में नजर आ रही हैं। सरकार की तरफ से रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों के लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) की रजिस्ट्रेशन को लाजमी बनाया जा रहा है। आगामी 1 जुलाई से रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों के लिए बीआईएस जरूरी किया जा रहा है। हालांकि समूची रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री इसका कड़ा विरोध कर रही है। रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग में लगे उद्यमियों का कहना है कि सरकार की तरफ से जरूरी बनाई जा रही बीआईएस की शर्त इंडस्ट्री को तबाह कर देगी।
रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष नीरज अरोड़ा ने कहा कि रबड़ चप्पल मैन्युफैक्चरिंग में छोटी इकाइयां कार्यरत हैं और घरों में भी रबड़ चप्पल बनाने में जुटे कई परिवार अपनी रोटी चला रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए बीआईएस की रजिस्ट्रेशन संभव ही नहीं है। रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग करने वाली बड़ी फैक्ट्रीज के संचालक भी बीआईएस नहीं ले सकते हैं क्योंकि इसमें खर्च भी करना पड़ेगा और यह प्रक्रिया बेहद पेचीदा भी है।
एसोसिएशन के चेयरमैन बीबी ज्योति ने कहा कि प्रदेश की रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को बचाने के लिए कैप्टन सरकार को आगे आना चाहिए और केंद्र के साथ इस मसले को उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कैप्टन सरकार प्रदेश में इंडस्ट्री के ऊपर बीआईएस लागू होने से रोक लेती है तो सैकड़ों परिवारों की रोटी बचाई जा सकेगी। अन्यथा उनके लिए रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा।
एसोसिएशन के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट राजिंदर अरोड़ा ने कहा कि रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री अधिकतर छोटी इकाइयों में है। लोग छोटी-छोटी इकाइयां शुरू करके आजीविका चला रहे हैं। जो लोग छोटी इकाइयों का संचालन करते हैं, उन्हें तो बीआईएस के बारे में जानकारी तक नहीं है। उनके पास इतना पैसा भी नहीं है कि किसी प्रोफेशनल की सेवाएं लेकर बीआईएस ले लिया जाए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इंडस्ट्री की मांग की तरफ गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और बीआईएस को एक जुलाई से लागू नहीं करना चाहिए।
बीआईएस लागू हुआ तो समूची इंडस्ट्री तबाह हो जाएगी
एसोसिएशन के महासचिव कपिल पुंछी ने कहा कि रबड़ फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग उन उपभोक्ताओं के लिए की जाती है एवं उन लोगों की तरफ से की जाती है जो आर्थिक तौर पर ज्यादा संपन्न नहीं है। कृषि सेक्टर में भी रबड़ की चप्पल का प्रयोग होता है। इस वजह से सैकड़ों लोगों की आजीविका को ध्यान में रखते हुए बीआईएस को लागू नहीं करना चाहिए अन्यथा समूची इंडस्ट्री तबाही की कगार पर पहुंच जाएगी।