खर्च बढ़ने से थमने लगा निजी बसों का पहिया, जालंधर में कई रूटों पर बंद की सर्विस

लॉकडाउन के दौरान भारी आर्थिक संकट झेल रही निजी बस कंपनियों की तरफ से संचालित की जाने वाली बसों की संख्या में ही कटौती कर दी गई है। बसों की संख्या में कटौती करने की मुख्य वजह महंगा डीजल अड्डा फीस महंगे कलपुर्जे टायर एवं जीएसटी बनी है।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 11:53 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 11:53 AM (IST)
खर्च बढ़ने से थमने लगा निजी बसों का पहिया, जालंधर में कई रूटों पर बंद की सर्विस
निजी बस कंपनियों की तरफ से संचालित की जाने वाली बसों की संख्या में ही कटौती कर दी गई है।

मनुपाल शर्मा, जालंधर। लॉकडाउन के दौरान भारी आर्थिक संकट झेल रही निजी बस कंपनियों की तरफ से संचालित की जाने वाली बसों की संख्या में ही कटौती कर दी गई है। रूट परमिट होने के बावजूद बसों की संख्या में कटौती करने की मुख्य वजह महंगा डीजल, अड्डा फीस, महंगे कलपुर्जे, टायर एवं जीएसटी बनी है।

एक अनुमान के मुताबिक निजी बस संचालकों की तरफ से 35 से 40 फीसद बसें मजबूरी में ही खड़ी की जा रही हैं। सबसे ज्यादा असर उन रूटों पर पड़ा है, जिन पर यात्रियों की संख्या दिन में सुबह शाम की अपेक्षा कम रहती है। ऐसे रूटों पर निजी बस कंपनियों ने दिन के समय बस संचालन बंद ही कर दिया है। निजी बस कंपनी संचालकों का तर्क है कि थोड़ा बहुत बचाव इस वजह से हो रहा है कि फिलहाल पंजाब के भीतर टोल टैक्स वसूली बंद है। इस वजह से 60 फीसद बसों का संचालन संभव हो पा रहा है। टोल वसूली शुरू होते ही खड़ी की जाने वाली बसों की संख्या में बढ़ोतरी हो जाएगी।

गगनदीप बस सर्विस के संचालक संदीप शर्मा ने कहा कि दिन भर में एक बस के लिए लगभग 500 रुपए फीस ही देनी पड़ रही है। इस पर भी जीएसटी देना पड़ता है। डीजल की कीमतों में बीते एक वर्ष में लगभग 30 रुपए का अंतर आ चुका है, लेकिन किराया तो नहीं बढ़ाया गया है। संदीप शर्मा ने कहा कि पंजाब सरकार की तरफ से प्रत्येक वर्ग की महिलाओं को निशुल्क यात्रा सुविधा दिया जाना परिवहन व्यवसाय के लिए खासा खतरनाक साबित हुआ है। निजी बसों में भी यात्रियों की संख्या में गिरावट आ गई है। सरकार घर घर रोजगार देने की बात कर रही है, लेकिन यहां तो घर-घर बेरोजगारी फैल रही है।

मिनी बस बचाओ एक्शन कमेटी के जरनैल सिंह गढ़दीवाला ने कहा कि पंजाब सरकार को रोड टैक्स खत्म कर देना चाहिए। सभी यात्रियों के लिए ही किराया कम कर देना चाहिए, लेकिन डीजल पर सब्सिडी मिलनी चाहिए। अड्डा फीस कम होनी चाहिए। टोल टैक्स में राहत दी जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर सिवाय बसें खड़ी कर देने से कोई चारा नहीं है।

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