रेलवे की दीवार पर राजनीतिक दावे! जालंधर में पार्टियों की वाल पेंटिंग्स में छिपने लगी सरकारी प्रॉपर्टी
पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट के तहत सरकारी इमारतों के ऊपर राजनीतिक प्रचार करना अवैध माना जाता है। आचार संहिता लागू होने के बाद तो किसी निजी प्रॉपर्टी के ऊपर भी मालिक की सहमति के बिना कोई राजनीतिक पार्टी वॉल पेंटिंग अथवा पोस्टर पेस्टिंग नहीं करवा सकती है।
मनुपाल शर्मा, जालंधर। महिलाओं को प्रतिमाह दो हजार रुपए सम्मान भत्ता देंगे। हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाएंगे और डीजल 10 रुपए प्रति लीटर सस्ता देंगे। दीवार चाहे केंद्र की है, लेकिन उस पर लुभावने वादे आगामी विधानसभा चुनाव इकट्ठे लड़ने जा रहे अकाली-बसपा गठबंधन के हैं। विधानसभा चुनाव से पहले ही महानगर में पब्लिक प्रॉपर्टीज एक्ट की धज्जियां सरेआम उड़ रही हैं। राजनीतिक पार्टियों की चुनावी वादों वाली वॉल पेंटिंग्स में सरकारी प्रॉपर्टी छिपने ही लगी है। हैरानी की बात यह है कि जिले के अधिकारियों सब कुछ जानते हुए भी आंखें मूंद ली हैं।
रेलवे की तरफ से हाल ही में नेशनल हाईवे के नजदीक से गुजर रहे रेलवे ट्रैक के बाहर कंक्रीट की बाउंड्री वॉल का निर्माण करवा दिया गया है। यह बाउंड्री वॉल हाइवे से गुजरने वाले राहगीरों को साफ नजर आती है। अकाली बसपा गठबंधन की तरफ से इसी बाउंड्री वॉल के ऊपर ही वॉल पेंटिंग्स करवा दी गई हैं, ताकि उनकी विजिबिलिटी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक बनी रहे।
सरकारी भवनों या प्रापर्टी पर राजनीतिक प्रचार अवैध
पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट के तहत सरकारी इमारतों के ऊपर राजनीतिक प्रचार करना अवैध माना जाता है। आचार संहिता लागू होने के बाद तो किसी निजी प्रॉपर्टी के ऊपर भी मालिक की सहमति के बिना कोई राजनीतिक पार्टी वॉल पेंटिंग अथवा पोस्टर पेस्टिंग नहीं करवा सकती है। अगर कोई दल ऐसा करता है तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकता है।
अधिकारी बने अनजान
सरकारी प्रापर्टी पर राजनीतिक दलों की ओर से प्रचार किए जाने के बारे में अधिकारी जानते हैं पर उन्होंने आंखें मूंद ली हैं। तबादलों की आंधी में प्रदेश की अफसरशाही इस समय अपनी कुर्सी कायम रखने के लिए जोड़-तोड़ में उलझी हुई है। शायद यही वजह है कि नियमों का सरेआम उल्लंघन हो रहा है और उस पर कार्रवाई भी कोई नहीं की जा रही है। ऐसे में उल्लंघन के मामले और बढ़ सकते हैं।