जालंधर में सियासत का नया दौर शुरू, मनोज अरोड़ा की नियुक्ति ने बढ़ाया केपी गुट का दबदबा

पंजाब में सत्ता का केंद्र रहे मोहिंदर सिंह केपी के करीबी मनोज अरोड़ा के जिला प्लानिंग बोर्ड के चेयरमैन बनने से केपी गुट एक बार फिर शहर की राजनीति पर हावी हो सकता है। केपी इस समय हाशिए पर हैं लेकिन कभी एक समय था कि अहम पदों पर थे।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Wed, 13 Jan 2021 07:12 AM (IST) Updated:Wed, 13 Jan 2021 07:12 AM (IST)
जालंधर में सियासत का नया दौर शुरू, मनोज अरोड़ा की नियुक्ति ने बढ़ाया केपी गुट का दबदबा
सांसद चौधरी संतोख सिंह और विधायक सुशील रिंकू से केपी का 36 का आंकड़ा है।

जालंधर, [जगजीत सिंह सुशांत]। जिला प्लानिंग बोर्ड के नए चेयरमैन के रूप में मनोज अरोड़ा की नियुक्ति से शहर में सियासत नया रंग ले रही है। कभी पंजाब में सत्ता का केंद्र रहे मोहिंदर सिंह केपी के करीबी मनोज के चेयरमैन बनने से केपी गुट एक बार फिर शहर की राजनीति पर हावी हो सकता है। केपी इस समय हाशिए पर हैं लेकिन कभी एक समय था कि वह आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य, पंजाब कांग्रेस के प्रधान, पंजाब सरकार में मंत्री, सांसद रहे। पिछले कई चुनाव हारने के बाद उनकी पैतृक सीट जालंधर वेस्ट भी पार्टी ने उनसे छीन ली थी। मनोज अरोड़ा चेयरमैन बने हैं तो जालंधर की सियासत में केपी का दखल बढ़ेगा। मौजूदा सांसद चौधरी संतोख सिंह और विधायक सुशील रिंकू से केपी का 36 का आंकड़ा है। रिंकू और चौधरी में भी संबंध ठीक नहीं है। ऐसे में राजनीति कई करवट लेगी और 2022 तक बहुत कुछ बदलेगा।

एक-दूसरे पर डाले डोरे

भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद शिअद को अब शहरी इलाकों में चुनाव लड़ाने के लिए हिंदू चेहरों की तलाश है। न सिर्फ हिंदू चेहरे ढूंढने हैं बल्कि उन नेताओं को आगे लाना है जो भाजपा को भी नुकसान पहुंचा सकें। ऐसे में शिरोमणि अकाली दल अब भाजपा नेताओं पर ही डोरे डाल रहा है ताकि उसके वोट बैंक को भी तोड़ा जा सके। सुखबीर बादल जब स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर शहर में रणनीति बनाने के लिए मौजूद रहे तो उस दौरान चर्चा भी रही कि कुछ भाजपा नेता अकाली दल में शामिल हो सकते हैं। हालांकि यह बात अभी सिरे नहीं चढ़ी है लेकिन आने वाले दिनों में इसकी काफी संभावना है। जालंधर वेस्ट हलके से गोसेवा कमीशन के पूर्व चेयरमैन कीमती भगत भी अकाली दल में शामिल हो चुके हैं। टिकट को लेकर भाजपा में भी इस समय फूट है जिसका फायदा अकाली दल को मिल सकता है।

भाजपा के विरोध का सेंट्रल प्वाइंट

भाजपा का विरोध कांग्रेस के लिए भी सेंट्रल हलके तक सीमित ही रह गया। अधिकांश मामलों में सेंट्रल हलके के कांग्रेसी ही भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन करते आ रहे हैं। भाजपा के कंपनी बाग चौक में प्रदर्शन के दौरान भी कांग्रेस के पुतला फूंक प्रोग्राम में 90 प्रतिशत कार्यकर्ता जालंधर सेंट्रल हलके से थे। ऐसा इसलिए भी है कि कांग्रेस के मौजूदा कार्यवाहक प्रधान बलदेव सिंह देव और विधायक राजेंद्र बेरी में निकटता है और सभी प्रोग्राम इनकी मर्जी से ही तय होते हैं। जब तक जिला कांग्रेस को नया प्रधान नहीं मिलता है तब तक सभी प्रोग्रामों में सेंट्रल हलके का ही दबदबा रहेगा। जिला कांग्रेस के प्रोग्रामों से जालंधर वेस्ट हलके, नार्थ और कैंट के नेताओं ने भी दूरी बनाई हुई है। इस कारण से कांग्रेस भी लगातार कमजोर हो रही है। जालंधर हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रहा है इसलिए रुतबा कायम रखने के लिए फेरबदल भी कर सकती है।

कालम चौथा पीस भाजपा का रिजर्व सीटों पर फोकस

शिअद से अलग होने के बाद भाजपा अब नई रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा का फोकस अब पंजाब की रिजर्व सीटों पर हो गया है। पंजाब में अनुसूचित जाति वर्ग की वोट काफी ज्यादा है और यह हर सीट पर बड़ा प्रभाव रखती है। अब तक पंजाब में जाट समुदाय ही सत्ता में रहा है लेकिन भाजपा वोट पोलराइज करने की रणनीति पर काम कर रहा है। अगर भाजपा अनुसूचित जाति वर्ग की वोट को अपने पक्ष में पोलराइज कर लेता है तो पंजाब में सत्ता की नई इबारत लिखी जा सकती है। पंजाब भाजपा के इंचार्ज के रूप में सीनियर नेता दुष्यंत गौतम की नियुक्ति भी इसी रणनीति का हिस्सा है। भाजपा ने अनुसूचित जाति वर्ग के नेता को पंजाब का इंचार्ज बनाकर अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। उनके यह प्रयास कितना रंग लाते हैं ये तो समय ही बताएगा लेकिन विरोधी जरूर चकित हो गए हैं।

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