जालंधर-नकोदर रेलखंड पर चलेगी इलेक्ट्रिक ट्रेन, फिल्लौर-नकोदर व मुल्लांपुर-लुधियाना ट्रैक भी मार्च तक होंगे इलेक्ट्रिफाइड

किसान आंदोलन के दौरान जालंधर नकोदर-रेलखंड को वैकल्पिक मार्ग के तौर पर प्रयोग किया गया था लेकिन इलेक्ट्रिफिकेशन न होने की वजह से जालंधर और लुधियाना में एक्सप्रेस ट्रेनों की इलेक्ट्रिक पावर को डीजल पावर से बदलना पड़ा था।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 03:56 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 04:38 PM (IST)
जालंधर-नकोदर रेलखंड पर चलेगी इलेक्ट्रिक ट्रेन, फिल्लौर-नकोदर व मुल्लांपुर-लुधियाना ट्रैक भी मार्च तक होंगे इलेक्ट्रिफाइड
जालंधर-नकोदर रेलखंड की इलेक्ट्रिफिकेशन का काम शुरू कर दिया गया है।

मनुपाल शर्मा, जालंधर। रेलवे के फिरोजपुर मंडल के जालंधर-नकोदर रेलखंड पर शीघ्र ही इलेक्ट्रिक ट्रेनों का संचालन संभव हो सकेगा। रेलवे की तरफ से जालंधर-नकोदर रेलखंड की इलेक्ट्रिफिकेशन का काम शुरू कर दिया गया है। मौजूदा समय में सिंगल ट्रैक के ऊपर डीएमयू यात्री ट्रेनों का ही संचालन किया जाता था। यह लगभग डेढ़ वर्ष से कोरोना वायरस संक्रमण के बाद लगाए गए लॉकडाउन के बाद से बंद पड़ा हुआ है।

किसान आंदोलन के दौरान जालंधर नकोदर-रेलखंड को वैकल्पिक मार्ग के तौर पर प्रयोग किया गया था, लेकिन इलेक्ट्रिफिकेशन न होने की वजह से जालंधर और लुधियाना में एक्सप्रेस ट्रेनों की इलेक्ट्रिक पावर को डीजल पावर से बदलना पड़ा था। सीनियर सेक्शन इंजीनियर टीआरडी अवतार सिंह एवं मनजीत सिंह से प्राप्त जानकारी के मुताबिक आगामी मार्च तक मंडल के 200 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक को इलेक्ट्रिफाई करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मंडल में 1080 किलोमीटर के लगभग ट्रैक बिना इलेक्ट्रिफिकेशन के है, जिसे आगामी तीन वर्ष के भीतर इलेक्ट्रिफाई कर दिया जाएगा। इसमें जालंधर-नवांशहर, होशियारपुर, बठिंडा-फिरोजपुर फाजिल्का आदि के अलावा हिमाचल के क्षेत्र शामिल होंगे।

लुधियाना में इंजन बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी

रेलखंड के इलेक्ट्रिफाई हो जाने पर दिल्ली की तरफ से आने वाली गाड़ियों को लुधियाना में इलेक्ट्रिक पावर बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। फिल्लौर नकोदर रेलखंड की इलेक्ट्रिफिकेशन होने के बाद दिल्ली की तरफ से आने वाली गाड़ियों की लुधियाना में  इलेक्ट्रिक पावर बदलने की जरूरत नहीं रहेगी। रेलगाड़ियां सीधी फिल्लौर से नकोदर और नकोदर से लोहिया तक पहुंचेगी। इसी तरह से किसी भी आपात स्थिति में डायवर्शन के समय जालंधर में इलेक्ट्रिक पावर को बदलने की जरूरत नहीं होगी। ट्रेन सीधे नकोदर चौक होते हुए लुधियाना तक इलेक्ट्रिक पावर के साथ ही पहुंच सकेगी।

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