जालंधर में मेयर जगदीश राजा के 3 साल... एक भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं, स्मार्ट सिटी का सपना दूर
जालंधर में पहले दो साल की तरह ही तीसरा साल भी विकास के लिहाज से कुछ खास नहीं रहा है। मेयर राजा के कार्यकाल के इन तीन साल में एक भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया। कूड़े की समस्या हल नहीं हुई है। बायोमाइनिंग प्रोजेक्ट पर भी विवाद है।
जालंधर [जगजीत सुशांत]। मेयर जगदीश राज राजा का तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। पहले दो साल की तरह ही तीसरा साल भी विकास के लिहाज से कुछ खास नहीं रहा है। इन तीन साल में एक भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया। कूड़े की समस्या हल नहीं हुई है। बायोमाइनिंग प्रोजेक्ट पर भी विवाद है। शहर की पहचान बजबजाते सीवर, टूटी सड़कें और कूड़े से भरी गलियों से हो रही है। हल्की सी बारिश के बाद जलभराव से जूझने वाले शहर को इस समस्या से आज भी निजात नहीं मिल सकी। शहर में अवैध रूप से बनाए गए कूड़े के डंप व सड़कों पर बिखरा कूड़ा रोजाना शहरवासियों को इस बात का अहसास करवाता रहा हैं कि आप स्मार्ट सिटी का सपना देखना अभी भूल जाइए।
टूटी सड़कों की वजह से सैकड़ों लोगों को मिले शारीरिक दर्द व सूनी हुई सैकड़ों कोख मेयर के इन तीन सालों के कार्यकाल के लिए उन्हें कभी माफ नहीं कर पाएंगी। ढाई साल से ज्यादा समय तक रोजाना अंधेरे में डूबे रहने वाली गलियों में झपटमारों व लावारिस कुत्तों का शिकार हुए लोगों के दिलों से आज भी दहशत नहीं निकल पाई है। अतिक्रमण से भरी सड़कों पर लोगों का वाहन चलाना आज भी किसी युद्ध कौशल से कम नहीं है। पैदल चलने वाले लोगों के लिए बनाए गए फुटपाथों को तीन सालों में भी कब्जा मुक्त न करवाकर मेयर ने सिद्ध कर दिया है कि शायद वह नहीं चाहते हैं स्मार्ट सिटी में लोग पैदल चलें।
तीन साल पहले जहां से शुरू किया..उससे भी पीछे चले गए
तीसरे साल के अंतिम महीने में कुछ प्रोजेक्ट शुरू होने से यह उम्मीद बंधी है कि अगले दो साल शहर के लिए बेहतर रहेंगे। हालांकि मेयर का तीसरा साल कोरोना से भी प्रभावित रहा। वह लोगों की सेवा के लिए डटे रहे लेकिन लाकडाउन ने विकास का रास्ता रोक दिया। सड़कों का काम कोरोना के कारण प्रभावित रहा। अब यह अप्रैल में ही तेज होने की उम्मीद है। इतना जरूर है कि पहले दो साल में मेयर शहर के विकास को लेकर जहां से शुरू हुए थे उससे भी पीछे चले गए थे। अब तीसरे साल के अंतिम तीन-चार महीनों में वह वापसी पर नजर आ रहे हैं। मेयर जगदीश राजा के लिए तीसरे साल में राजनीतिक दिक्कतें भी रहीं लेकिन भाग्य का साथ रहा। अफसरशाही पर मेयर की पकड़ एक बार फिर कमजोर साबित हो रही है, इसलिए हाउस में भी अफसरों का दबदबा रहा।
तीन साल तीन चर्चे
1 -कोरोना काल से पहले यूनियनों से उनका टकराव रहा।
2 - निगम की वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण मेयर की सरकारी गाड़ी वर्कशाप में इंपाउंड कर ली गई। वर्कशाप मालिक ने कहा कि जब तक पैसे नहीं भरते तब तक गाड़ी नहीं भेजेंगे।
3 -हाल ही में मेयर की फेसबुक आइडी की डुप्लीकेट आईडी भी बनाई गई है और इससे कई पार्षदों, शहर के लोगों को संदेश भेजे गए।
यह प्रमुख करवाए
- करीब 762 करोड़ से सतलुज दरिया का पानी सप्लाई करने का प्रोजेक्ट शुरू
- 44 करोड़ का एलईडी स्ट्रीट लाइट्स प्रोजेक्ट
- 20 करोड़ से 120 फुट रोड पर बरसाती सीवर
- करीब 82 करोड रुपए से सड़कों के काम हुए
- 100 करोड़ के काम का प्रोसेस चल रहा है
- अमरुत योजना से पानी सप्लाई का 21 करोड़ का काम
- स्वच्छ भारत मिशन से 6 करोड़ का काम
- प्रधानमंत्री आवास योजना में 1498 लोगों को ग्रांट
- 1162 महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर रोजगार दिया
- फोलड़ीवाल में 68 करोड़ से 50 एमएलडी प्लांट
- पीरदाद में 20 करोड़ से 15 एमएलडी प्लांट
- जमशेर में 14 करोड़ से 2.25 एमएलडी का एफुलेंट ट्रीटमेंट प्लांट
भविष्य की योजना : एलिवेटेड रोड पर फोकस
आधे से ज्यादा कार्यकाल खत्म करने के बाद में मेयर अब राजा के रूप में नजर आने लगे हैं। शहर में एलिवेटेड रोड और आउटर रिंग रोड का भी प्लान बनाया है। एलिवेटेड रोड के लिए मेयर काफी गंभीर हैं और इसे हाउस में पास करवाने के बाद सरकार से मंजूरी लेने के लिए भी भागदौड़ कर रहे हैं। यहीं नहीं वह जेल चौक से डाल्फिन होटल तक की सड़क को चौड़ा करने का प्रस्ताव पास कर चुके हैं।