22 सालों में जालंधर को मिली दो यूनिवर्सिटी
22 सालों में जालंधर विकास के पथ पर बहुत तेजी से दौड़ा। शिक्षा के क्षेत्र पर भी इसका असर पड़ा।
अंकित शर्मा, जालंधर
22 सालों में जालंधर विकास के पथ पर बहुत तेजी से दौड़ा। शिक्षा के क्षेत्र पर भी इसका असर पड़ा। दैनिक जागरण भी इसी के साथ-साथ आगे बढ़ता रहा। शिक्षा को लेकर लोगों को जागरूक किया और इसका परिणाम यह निकला कि इस दौरान यहां सैकड़ों स्कूल, कई कालेज और दो यूनिवर्सिटी खुल गई। पढ़ाई का स्तर बहुत ऊंचा हो गया है।
जालंधर में पहले एक भी यूनिवर्सिटी नहीं थी। यहां के युवाओं को दूसरे जिलों की यूनिवर्सिटी से संबंधित मान्यता प्राप्त कालेज से पढ़ाई करनी पड़ती थी, मगर अब हमारे यहां दो-दो यूनिवर्सिटी है, जिनमें एक एलपीयू है, जो भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी धाक जमा चुकी है। एलपीयू केवल राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि विश्व रैंकिग में भी खरी उतरी है। एलपीयू की छात्रा कविता फमन को देश में पहली बार एग्रीकल्चर की पढ़ाई करने पर एक करोड़ रुपये का सालाना पैकेज मिला था। दूसरी डीएवी यूनिवर्सिटी है। जालंधर में पहले ही अपनी बेहतर व उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सेवाएं देने के लिए डीएवी कालेज नाम और विश्वास कमा चुका है। वहीं कन्या महाविद्यालय और हंसराज महिला महाविद्यालय लड़कियों को उच्च शिक्षित करने में अहम रोल अदा कर रहे हैं। दूसरी तरफ लायलपुर खालसा कालेज बंटवारे का दंश सहने के बाद दोआबा के विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा में अपना अहम योगदान डाल रहा है।
अब तो 400 स्कूल बन चुके स्मार्ट
पहले के दौर में सरकारी स्कूलों में न तो बच्चों बैठने के लिए बेंच व टेबल होते थे और न ही स्मार्ट बिल्डिंग। बरसात के मौसम में तो सरकारी स्कूलों के हालात बद से बदतर हो जाते थे, मगर अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं। अब जिले के 400 सरकारी स्कूल स्मार्ट स्कूल में बदल गए हैं। इन स्मार्ट स्कूलों में हर सुविधा उपलब्ध है। तभी तो वे प्राइवेट स्कूलों को टक्कर दे रहे हैं। ये स्मार्ट क्लासरूम, हाईटेक लेबोरेटरीज, आरओ सिस्टम व सोलर सिस्टम से लैस हो चुके हैं।