लोगों ने दिए ताने... लेकिन नहीं रुके कदम, जालंधर की प्रिया ने 28 दिन में फतेह किए पांच पहाड़

जालंधर की प्रिया आंबेडकर ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया है और अपने शहर व मां-बाप का नाम दुनियाभर में रोशन किया। प्रिया ने 28 दिन में पांच पहाड़ चढ़कर बाकी लड़कियों के लिए एक मिसाल कायम की।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 10:20 AM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 10:20 AM (IST)
लोगों ने दिए ताने... लेकिन नहीं रुके कदम, जालंधर की प्रिया ने 28 दिन में फतेह किए पांच पहाड़
जालंधर की प्रिया आंबेडकर ने 28 दिन में पांच पहाड़ चढ़कर बाकी लड़कियों के लिए एक मिसाल कायम की।

जालंधर, [प्रियंका सिंह]। मंजिल को पाने के लिए लोगों की बातों को नजरअंदाज करके जो आगे बढ़ता है वही सफल योद्धा कहलाता है। जालंधर की प्रिया आंबेडकर ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया है और अपने शहर व मां-बाप का नाम दुनियाभर में रोशन किया। प्रिया ने 28 दिन में पांच पहाड़ चढ़कर बाकी लड़कियों के लिए एक मिसाल कायम की।

इसके लिए उन्हेंं हिमालय माउंटेनिंग इंस्टीट्यूट दार्जिलिंग ने गोल्ड मेडल से नवाजा है। लड़कियों के प्रति समाज की सोच और अपने सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने परिवार से भी बगावत कर ली और मंजिल के सफर में आगे बढ़ी। वह आने वाले समय में माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराना चाहती हैं। गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी कैंपस जालंधर से एमए पालिटिक्ल साइंस की पढ़ाई कर रही बूटा मंडी की 25 वर्षीय प्रिया स्कूल और कालेज की पढ़ाई के दौरान एनसीसी और स्पोट्र्स करती रही है। एनसीसी में उन्हेंं पहाड़ चढऩे की शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट रहने की ट्रेनिंग भी दी गई। प्रिया ने बताया कि वह फिट रहने के लिए वह तीन घंटे रोज प्रैक्टिस करती है।

फेसबुक पर एक तस्वीर देख बनीं पर्वतारोही

प्रिया ने बताया कि फेसबुक पर एक लड़की के तस्वीर देखी जो एवरेस्ट चढ़कर आई हुई थी। देखने में वह काफी कमजोर लग रही थी। तब उसके मन में आया कि अगर यह लड़की है सबकुछ कर सकती है तो वह क्यों नहीं। उसने भी ठान लिया कि अब उसे इसी फील्ड में आगे बढऩा है। इस दौरान उन्हेंं कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। आर्थिक तौर पर भी और शारीरिक तौर पर भी।

कल तक ताने मारने वाले आज कर रहे तारीफ

बकौल प्रिया पिता अशोक कुमार और माता गुरप्रीत कौर अकेले घर से बाहर जाकर ट्रेनिंग करने से रोकते थे। यहां तक कह दिया था कि या तो एवरेस्ट की चढ़ाई चुन लो या हमें। वहां उसने एवरेस्ट की चढ़ाई को चुना। डा आंबेडकर चेतना सोसायटी ने भी उसकी काफी मदद की। पहाड़ों की चढ़ाई के लिए स्पान्सर किया और उनके माता-पिता को भी समझाया। अब एचएमआइ ने उसे गोल्ड मेडल दिया तो परिवार और आसपास के लोगों की खुशी का ठिकाना ना रहा। कल तक ताने माने वाले लोग टीवी और अखबार में देखकर उसकी तारीफ कर रहे हैं।

इन पहाड़ों को फतेह कर चुकी है प्रिया

8000 फुट टाइगर हिल्स (दो बार)

12000 फुट संदक्फू चोटी

10000 फुट अशोका हिल्स

13320 फुट जंगरी हिल्स

14000 फीट एचएमआइ बेस कैंप

14660 राथोंग ग्लेशियर

लड़कियों के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं?

प्रिया एक और अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रही हैं, वहीं समाजसेवा में भी जुटी है। अपने आसपास के बच्चों को निशुल्क पढ़ाती है। उन्होंने कहा कि लड़की जब अपने शरीर से एक मर्द को पैदा कर सकती है तो वह कुछ भी कर सकती है, उसके लिए कोई भी चीज असंभव नहीं है। उन्होंने कहा कि उसके दादा परदादा ने हमेशा मर्दों की तरह रखा। समाज के लोगों ने काफी सवाल उठाएं। उनकी बातों का दुख भी होता था लेकिन उनकी बातों का जवाब उसने आज दिया है।

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